टीचर और कारीगर के बच्चों ने छुआ आसमां

बोर्ड 10वीं के परीक्षा परिणाम में धर्मनगरी के टीचर और कारीगर के बच्चों ने आसमां छुआ। दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में टॉपर्स विद्यार्थियों ने बताया कि स्टडी के साथ खेलकूद भी जरूरी है। लेकिन खेल में इतना भी मशगूल मत हो कि पढ़ाई करना ही भूल जाए। इसके साथ ही साल की शुरूआत से एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। जिस कारण ही वे आज टॉप थ्री में आ पाए है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 07:38 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 07:38 AM (IST)
टीचर और कारीगर के बच्चों ने छुआ आसमां
टीचर और कारीगर के बच्चों ने छुआ आसमां

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कदम आसमान का..एक कविता की इन लाइनों को हरियाणा बोर्ड की 10वीं के होनहारों ने पूरा कर दिया। परीक्षा में धर्मनगरी के टीचरों और ज्वेलरी के कारीगर के बच्चों ने आसमां को छुआ है। इन होनहारों से लॉकडाउन में परीक्षा कराने के लटके-झटकों के बीच खुद को साबित किया है। अब उनकी सपनों को उड़ान देने की तैयारी है।

दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में टॉपर्स से उनके संघर्ष की बात भी निकलकर सामने आई। उनका मानना है कि पढ़ाई के साथ खेलकूद भी जरूरी है।

डाक्टर बन पूरा करना है मां का सपना

गीता कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रज्ञा पांडे ने 98.8 फीसदी अंकों के साथ जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। पिता रास बिहारी पांडे एसएमबी गीता सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हिदी के लेक्चरर है। माता सुधा पांडे गृहणी हैं। प्रज्ञा ने बताया कि उसकी मां डाक्टर बनना चाहती थी, लेकिन पारीवारिक कारणों के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर पाई। उसकी मां की इच्छा अधूरी रह गई। वह डाक्टर बनकर अपनी मां के सपने को पूरा करेगी। उसके पिता स्कूल में टीचर है और भाई कुवि में बीएसई फाइल इयर में है। उसे कभी ट्यूशन जाने की जरूरत नहीं पड़ी। उसने स्कूल में पढ़ाए विषय को प्रतिदिन पढ़ा। वह इस मंत्र से आज टॉप पर है।

सेल्फ स्टडी कर हासिल किया मुकाम

जिले में दूसरा स्थान पाने वाले सुबीर मंडल ने बताया कि यहां तक पहुंचाने में माता-पिता व अध्यापकों को योगदान रहा। पिता ज्वेलरी की शॉप पर कारीगर हैं। उसके पिता ने कष्ट उठाकर प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाया है। उसको ध्यान में रखकर ही वह पढ़ाई कर रहा और आज जिले में दूसरे स्थान पर आया है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना सपना है। उसने शुरू से ही प्रतिदिन तीन से चार घंटे की सेल्फ स्टडी की है।

गृह कार्य और क्लास में पढ़ाया हर रोज किया

जिले में तीसरा स्थान पाने वाली पल्लक इंजीनियर बनना चाहती है। उसने बताया कि उसके पिता मेरे स्कूल में इतिहास के टीचर हैं। उसने स्कूल में दिया गृह कार्य और कक्षा में पढ़ाए विषय को हर रोज घर आकर पूरा किया। उसने किसी तरह का ट्यूशन नहीं लिया। उसने विषय को पेपर से अच्छी तरह से रिवाइज किया था। वह इन सबके चलते अपने माता-पिता व स्कूल का नाम रोशन करने में सफल रही है।

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