नेपाल के बाद पिहोवा में स्थित है श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर

प्राचीन पृथुदक नगरी पिहोवा में श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर 350 साल से भी पुराना बताया जाता है। नेपाल के बाद विश्व में इसका दूसरा मंदिर सिर्फ भारत के पिहोवा में स्थित है। इस मंदिर में बना शिवलिग कसोटी पत्थर की एक शिला से निर्मित है। यह बेहद कीमती पत्थर है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 07:53 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 07:53 AM (IST)
नेपाल के बाद पिहोवा में स्थित है श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर
नेपाल के बाद पिहोवा में स्थित है श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर

संवाद सहयोगी, पिहोवा : प्राचीन पृथुदक नगरी पिहोवा में श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर 350 साल से भी पुराना बताया जाता है। नेपाल के बाद विश्व में इसका दूसरा मंदिर सिर्फ भारत के पिहोवा में स्थित है। इस मंदिर में बना शिवलिग कसोटी पत्थर की एक शिला से निर्मित है। यह बेहद कीमती पत्थर है। इसका इस्तेमाल शुद्ध सोने की पहचान करने में किया जाता है। इस मंदिर में पूजा करने का विशेष महत्व बताया जाता है। साधु समाज के अनुसार 12 ज्योर्तिलिगों के दर्शन के बाद पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन भी अनिवार्य बताए गए हैं।

मंदिर का इतिहास

पिहोवा प्राचीन तीर्थों में से पवित्र तीर्थ है। इसका वर्णन पुराणों में मिलता है। यहां पर पिडदान का विशेष महत्व है। यहीं पर बाबा श्रवणनाथ ने तप करके सिद्धि प्राप्त की थी। उन्होंने श्रीपशुपतिनाथ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था। 1763 ई. में तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।

मंदिर की विशेषता

श्रीपशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के बाद भारत में केवल एक मात्र कुरुक्षेत्र में है। मंदिर में शिवलिग कसोटी पत्थर की एक शिला से ही निर्मित है। इसके चार मुख चारों दिशाओं में और एक मुख उद्धर्वगामी है। इसलिए इसकी विशेषता और ज्यादा हो जाती है।

मंदिर में पूजा का महत्व

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साधू समाज हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष महंत बंसी पुरी ने बताया कि पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिग की पूजा का विशेष महत्व है। पशुपतिनाथ शिवलिग की स्थापना करीब 350 साल पहले बाबा श्रवणनाथ द्वारा की गई थी। देशभर में 12 ज्योर्तिलिगों के दर्शन के बाद पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन करना अनिवार्य है, जोकि विश्व भर में दो ही जगह पर हैं। एक नेपाल के काठमांडू में और दूसरा भारत के कुरुक्षेत्र के पिहोवा (पृथुदक) कस्बे में स्थापित हैं। पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं

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श्रद्धालु अक्षय नंदा ने बताया कि सावन माह के चलते मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। वे इस मंदिर से पिछले कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। मंदिर में नियमित पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महादेव की कृपा से यहां आने वाले श्रद्धालुओं के बिगड़े काम सही हो जाते हैं। मंदिर में शिवलिग का फल एवं फूलों से विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है।

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