जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं पुरुषों को दिखा रहीं हैं आईना

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By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 08:30 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 08:30 AM (IST)
जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं पुरुषों को दिखा रहीं हैं आईना
जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं पुरुषों को दिखा रहीं हैं आईना

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जनसंख्या नियंत्रण के मामले में पुरुष प्रधान समाज को महिलाएं आइना दिखाने का काम कर रही हैं। जिले में परिवार नियोजन के मामले में पुरुष महिलाओं से काफी पीछे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस बात को साबित कर रहे हैं। परिवार नियोजन के आकड़ों पर नजर डालें तो साफ दिखाई दे रहा है कि अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक महज 140 पुरुषों ने नसबंदी कराई है, जबकि महिलाओं में इसके प्रति जागरूकता कहीं ज्यादा है। जिले में एक साल में 1192 महिलाओं ने नलबंदी कराई है। ऐसे में साफ दिख रहा है कि महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के मद्देनजर परिवार नियोजन में जागरूकता के साथ-साथ अहम भूमिका भी निभा रही हैं। इस आंकड़े की कमी के पीछे चिकित्सक पुरुषों में एक गलत धारणा को भी मानते हैं। पुरुषों को यह लगता है कि इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा, जो गलत धारण है।

बेस्ट सर्जन व बेस्ट परफॉर्मर भी महिला चिकित्सक व स्टाफ ही

स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. उमा खुरानिया को बेस्ट सर्जन के तौर पर प्रदेश स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा महिलाओं को नलबंदी कराने के लिए प्रेरित करने वाली पिहोवा सीएचसी की स्टाफ नर्स सुनीता को बेस्ट परफोरमेंस के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इस स्टाफ नर्स ने पीपीआइवीसीडी के 95 केस कराए। वहीं खानपुर कोलियां की एएनएम नीलम ने 17 केस और बारना सीएचसी की एएनएम सुरजीत ने 17 केस कराए हैं।

पुरुषों में गलत धारणा : डा. आरके सहाय

जिला परिवार कल्याण अधिकारी डा. आरके सहाय ने बताया कि पुरुष नसबंदी पर दो हजार रुपये और महिला नसबंदी पर 1400 रुपये दिए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 1332 बंदीकरण की गई। इनमें 140 पुरुषों और 1192 महिलाओं की नसंबदी की गई। पुरुषों के अंदर एक धारणा यह रहती है कि नसबंदी कराने से शरीर में कमजोरी आती है और उन्हें काम के लिए दौड़भाग अधिक करनी पड़ती है जबकि इस तरह की सब धारणाएं गलत हैं।

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