प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में स्कूलों की भूमिका होगी तय : डॉ.रामेंद्र सिंह

विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान एवं सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 11 से 21 दिसंबर तक चलने वाली शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला शुरु हुई। इसका उद्घाटन सीसीआरटी की एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ.रामेंद्र सिंह ने किया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 08:00 AM (IST)
प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में स्कूलों की भूमिका होगी तय : डॉ.रामेंद्र सिंह
प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में स्कूलों की भूमिका होगी तय : डॉ.रामेंद्र सिंह

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान एवं सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 11 से 21 दिसंबर तक चलने वाली शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला शुरु हुई। इसका उद्घाटन सीसीआरटी की एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ.रामेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर सीसीआरटी से देवनारायण रजक तथा हरि सिंह भी उपस्थित रहे।

डॉ.रामेंद्र सिंह ने बताया कि यह कार्यशाला प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में स्कूलों की भूमिका विषय पर आयोजित की जा रही है। इसमें संपूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए शासकीय विद्यालयों के शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। यह पूर्णतया आवासीय कार्यशाला है, जिसमें विभिन्न सत्रों में अलग-अलग विषयों भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, भारतीय संस्कृति में विभिन्न क्षेत्रों का योगदान, स्वच्छ भारत मिशन, महात्मा गांधी जी का शैक्षिक दर्शन, अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में पुरातत्व एवं संग्रहालयों का योगदान के साथ-साथ कला आधारित शिक्षा किस प्रकार दी जा सके जिसमें बच्चे रुचिपूर्वक ज्ञानार्जन कर सकें। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

डॉ. सिंह ने बताया कि कार्यशाला में आए शिक्षकों को इस बात से भी अवगत कराया जाएगा कि भावी पीढ़ी को भारत की कला परंपराओं को जानना क्यों आवश्यक है। भारत के गौरवशाली अतीत के महत्वपूर्ण पहलुओं से भी रूबरू कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि दिनभर की व्यस्त दिनचर्या का नियोजन इस प्रकार से किया गया है कि प्रात:काल प्रारंभ योग की कक्षाओं से तथा दिन में कला, संस्कृति, इतिहास एवं रंगमंच से जुड़े विषयों की कक्षाएं रहेंगी। कुरुक्षेत्र के दर्शनीय स्थलों पर ले जाकर सभी शिक्षकों को उनके पुरातात्विक महत्व से भी अवगत कराया जाएगा।

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