राइट टू रिकॉल पहले विधायकों व सांसदों पर किया जाए लागू : अशोक अरोड़ा

हरियाणा के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा ने राइट टू रिकाल बिल पर प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा की शुरू से ही मंशा रही है कि लोग कैसे लडें।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Nov 2020 07:45 AM (IST) Updated:Mon, 09 Nov 2020 07:45 AM (IST)
राइट टू रिकॉल पहले विधायकों व सांसदों पर किया जाए लागू : अशोक अरोड़ा
राइट टू रिकॉल पहले विधायकों व सांसदों पर किया जाए लागू : अशोक अरोड़ा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : हरियाणा के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा ने राइट टू रिकाल बिल पर प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा की शुरू से ही मंशा रही है कि लोग कैसे लडें। ये लोग कभी धर्म के नाम पर कभी जाति के नाम पर लोगों को लड़वाने का कार्य करते हैं। राइट टू रिकॉल बिल भी गांवों में लोगों को लडवाने वाला बिल है।

उन्होंने कहा कि बिल के माध्यम से पंचायतों में लड़ाई करवाएंगे और लोगों को एक-दूसरे से बुरा बनाने का काम करेंगे। हर गांव में कई उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में काफी लोग विरोध में भी होते हैं। कई बार तो बहुकोणीय मुकाबले में 30 फीसदी वोट लेने वाला भी सरपंच बन जाता है। उन्होंने कहा कि यह बिल पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर करने की नीयत से लाया गया है, जबकि स्व. राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा फूट डालो और राज करने की नीति पर चलती है। कहीं धर्म के नाम पर झगड़े करवाए जाते हैं तो कभी 35 व 36 जाति का नारा देकर लोगों को लड़वाने का काम किया। अब इस बिल से गांव में पार्टी बाजी बढ़ेगी और विकास कार्य ठप जाएंगे। अशोक अरोड़ा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में रिकॉल बिल लाने से पहले सांसदों और विधायकों के लिए रिकाल का कानून बनाना चाहिए। आज हरियाणा में हालात यह हैं कि इस प्रकार का रिकाल बनते ही अनेक भाजपा व जजपा के विधायकों को रिकॉल कर दिया जाएगा। अरोड़ा ने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में भाजपा लगभग 35 फीसदी वोट लेकर सत्ता में आई थी। 65 फीसदी लोगों ने तो भाजपा के खिलाफ वोट दिया था।

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