महायज्ञ में पहुंची वैज्ञानिकों की टीम, शरीर और मन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर होगा शोध

यज्ञ से उठने वाला धुआं ध्वनि और भस्म पर्यावरण आसपास के वातावरण और मनुष्य के मन व स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ता है इस पर 22 अक्टूबर को थीम पार्क में 300 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ में रिसर्च होगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 10:46 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 10:46 PM (IST)
महायज्ञ में पहुंची वैज्ञानिकों  की टीम, शरीर और मन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर होगा शोध
महायज्ञ में पहुंची वैज्ञानिकों की टीम, शरीर और मन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर होगा शोध

फोटो संख्या : 8 व 10

-यज्ञ से पहले और बाद में क्राइम रेट पर भी रिसर्च करेगी टीम, पांच किलोमीटर के थानों से एकत्रित किया गया दुष्कर्म, चोरी व लूटपाट की घटनाओं का आंकड़ा

-एक हजार छोटे-बड़े उपकरण लेकर पहुंची वैज्ञानिक टीम जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : यज्ञ से उठने वाला धुआं, ध्वनि और भस्म पर्यावरण, आसपास के वातावरण और मनुष्य के मन व स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ता है इस पर 22 अक्टूबर को थीम पार्क में 300 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ में रिसर्च होगी। महायज्ञ शुरू होने से पहले ही 150 वैज्ञानिक और स्कालर्स ने धर्मनगरी में मोर्चा संभाल लिया है। महायज्ञ से पांच किलोमीटर के क्षेत्र में पर्यावरण और लोगों के तन व मन में किस तरह का परिवर्तन होगा इसे जानने के लिए 100 से अधिक उपकरणों के साथ वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च करने में जुट गई है। इतना ही नहीं यज्ञ होने से पहले और बाद में क्राइम रेट के आंकड़ों पर भी मंथन होगा। यानी यज्ञ करने से आसपास के वातावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की जो बातें महापुरुष मौखिक रूप से कहते थे अब उस पर रिसर्च और आंकड़ों से पता लग पाएगा।

एक हजार प्रश्न पत्र तैयार

महायज्ञ स्थल के नजदीक काम कर रहे या यज्ञ में भाग लेने वाले पंडित और लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा इस पर भी रिसर्च होगी। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक हजार प्रश्न पत्र तैयार किए हैं, जो लोगों से भरवाए जा रहे हैं। इस प्रश्न पत्र में 170 प्रश्न पूछे गए हैं। जिसमें उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जानकारी ली जाएगी।

महायज्ञ स्थल व पांच किमी दूर की वाइब्रेशन को रिकार्ड करेगी मशीन

ऋतांवेषी योगायन फाउंडेशन के वैज्ञानिक प्रतीक व्यास ने बताया कि रैंडम इवेंट जनरेटर मशीन वाइब्रेशन को रिकार्ड करती है। आरईजी मशीन एक महायज्ञ स्थल पर लगाई गई है और एक मशीन को पांच किलोमीटर दूर लगाया गया है, जो वहां की वाइब्रेशन को रिकार्ड करेगी। इन दोनों ही मशीनों में की गई रिकार्डिग से पता लग सकेगा कि जिस समय महायज्ञ शुरू हुआ तो उस समय यहां की वाइब्रेशन और वहां की वाइब्रेशन में कितना फर्क मिला। प्री-रिकार्डिग शुरू हो गई है, जिसमें पहले सुबह पांच से सात बजे का फिर 12 बजे के बाद का और फिर शाम की वाइब्रेशन को रिकार्ड किया जा रहा है। इसके बाद जब महायज्ञ शुरू हो जाएगा उसके बाद वाइब्रेशन की रिकार्डिंग ठीक इसी समय पर की जाएगी।

मिट्टी से लेकर पानी और भस्म की भी होगी जांच

ऋतांवेषी योगायन फाउंडेशन के वैज्ञानिक डा. राजेश राज ने बताया कि महायज्ञ स्थल पर कुछ स्पंज रखे जाएंगे, जिनकी बाद में रिसर्च होगी कि क्या उन पर कोई ऐसा केमिकल या तत्व है, जो बैक्ट्रिया को खत्म करेगा। इतना ही नहीं महायज्ञ स्थल पर मिट्टी, पौधे और हवन कुंड की भस्म का भी सैंपल पर भी लैब में रिसर्च होगी। हवनकुंड के साथ रखे लौटे से पानी का सैंपल भी लिया जाएगा, जिसमें परिवर्तन देखा जाएगा।

chat bot
आपका साथी