महाभारत की धरती से तेज हुआ था किसान आंदोलन, आगे रहे गुरनाम चढूनी

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को सिरे चढ़ाने वाले देश के पांच किसान नेता हैं। इनमें प्रदेश में गुरनाम सिंह चढूनी सबसे आगे रहे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 05:13 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 05:13 PM (IST)
महाभारत की धरती से तेज हुआ था किसान आंदोलन, आगे रहे गुरनाम चढूनी
महाभारत की धरती से तेज हुआ था किसान आंदोलन, आगे रहे गुरनाम चढूनी

जगमहेंद्र सरोहा, कुरुक्षेत्र : तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को सिरे चढ़ाने वाले देश के पांच किसान नेता हैं। इनमें प्रदेश में गुरनाम सिंह चढूनी सबसे आगे रहे। वह बात अलग है कि उनके फैसलों पर कई बार अंगूली उठी थी, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। पिपली में किसान महापंचायत में पुलिस लाठीचार्ज के बाद तेज हुआ आंदोलन देश के हर कोने तक पहुंचा।

भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, बलबीर राजेवाल, योगेंद्र यादव, शिवकुमार कक्का रहे। इसके बाद राकेश टिकैत आंदोलन से जुड़े। संयुक्त किसान मोर्चा का गठन कर पांच सदस्यीय कमेटी गठित की। इसके साथ किसान संगठनों को साथ लेकर आए। प्रदेश सहित देश में आंदोलन को तेज किया गया।

2018 में उठाई थी आवाज

भारतीय किसान यूनियन ने किसानों के हक में आवाज 2018 में बुलंद की थी। उस समय एमएसपी की गारंटी और कर्जा माफी मुद्दा थे। इसी बीच तीनों कृषि कानून लाए गए। भाकियू ने गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क किया और तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताया। किसान एकजुट हुए और एक आंदोलन का रूप लेने गया। इसके बाद खंड और जिला स्तर पर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए गए। इस आंदोलन में प्रदेश में बड़ी अगुवाई गुरनाम सिंह चढूनी ने की। पिपली में लाठीचार्ज से उग्र हुआ आंदोलन

गुरनाम सिंह चढूनी ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में 10 सितंबर 2020 को कुरुक्षेत्र की पिपली अनाज मंडी में प्रदेश स्तरीय किसान महापंचायत बुलाई थी। किसानों की शांतिपूर्वक महापंचायत कर निर्णय लेने थे, लेकिन प्रशासन ने किसान महापंचायत की परमिशन नहीं दी और किसानों को पिपली मंडी तक नहीं जाने दिया गया। किसानों ने पिपली चौक व चिड़ियाघर के सामने जीटी रोड पर जाम लगा दिया था। शाहाबाद में प्रशासन और पुलिस ने गुरनाम सिंह चढूनी के काफिले को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे वहां से निकलकर पिपली तक पहुंच गए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश में किसानों ने जाम लगा दिए थे। प्रशासन व पुलिस ने दोपहर बाद किसान महापंचायत की परमिशन दी। किसानों ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने का फैसला लिया। इसमें अब तक एक दर्जन मुकदमें दर्ज हो चुके हैं।

रणनीति के साथ दिल्ली के लिए किया कूच

गुरनाम सिंह चढूनी ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच की अगुवाई की। वे किसानों के साथ 26 नवंबर को अंबाला की मोहड़ा मंडी से रवाना हुए। अंबाला पुलिस ने किसानों को जीटी रोड पर रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसान बैरीकेड्स तोड़कर आगे बढ़ गए। कुरुक्षेत्र पुलिस ने कई जगह किसानों को ट्रिपल लेयर में बैरीकेड्स लगाकर रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसान यहां से भी आगे बढ़ गए। किसानों ने उस दिन समाना बाहू में रात्रि डेरा लगाया। करनाल पुलिस ने सबसे मजबूत नाका लगाया, लेकिन किसान इसको भी तोड़कर आगे बढ़ गए। किसान एक के बाद एक बैरीकेड्स तोड़कर दिल्ली बार्डर पर पहुंच गए। किसानों ने दिल्ली बार्डर पर डेरा डाल लिया।

चढूनी पर कई पर सवाल उठे

तीनों कृषि कानूनों की अगुवाई कर रहे गुरनाम सिंह चढूनी के फैसलों पर कई बार सवाल खड़े हुए। उन्होंने मिशन पंजाब का पहला फैसला लिया। इसमें पंजाब चुनाव में भाजपा का विरोध करने और किसानों के चुनाव लड़ने की बात कही थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस पर आपत्ति जताई थी। उनको सस्पेंड भी किया था। इसके बाद योगेंद्र यादव को सस्पेंड करने के फैसले पर संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले पर कुछ नाराजगी जताई थी।

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