सांस्कृतिक विरासत ही हमारी पहचान : शर्मा

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष शिक्षाविद् डा. गोविद प्रसाद शर्मा ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारी सबसे बड़ी पहचान है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 05:08 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 05:08 AM (IST)
सांस्कृतिक विरासत ही हमारी पहचान : शर्मा
सांस्कृतिक विरासत ही हमारी पहचान : शर्मा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष शिक्षाविद् डा. गोविद प्रसाद शर्मा ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारी सबसे बड़ी पहचान है। कई संस्कृतियां, कई सभ्यताएं आईं और विलुप्त हो गईं। हमारी संस्कृति और विरासत अभी भी जीवित है। वह मंगलवार को विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान की ओर से सांस्कृतिक विरासत और हम विषय पर आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इसका मूल कारण है कि हमारे चितन, मनन, हमारी सोच में सांस्कृतिक परिमार्जन की प्रक्रिया सतत चल रही है। जब तक यह प्रक्रिया चलेगी, हमारा सांस्कृतिक चितन विकसित होता रहेगा। इस विशाल सांस्कृतिक विरासत को अगली पीढ़ी तक सुरक्षित रूप में पहुंचाना हमारा दायित्व है।

संस्थान के निदेशक डा. रामेंद्र सिंह ने बताया कि गीता की उद्गम स्थली, प्राकट्य स्थली कुरुक्षेत्र से प्रत्येक सप्ताह व्याख्यानमाला का प्रसारण किया जाता है। कुरुक्षेत्र सरस्वती की धरती है, ज्ञान की भूमि है, धर्म भूमि है और यहां से संस्थान की निरंतर सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती रहती हैं। रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज प्रयागराज से संगीत विभाग के प्राध्यापक मनोज कुमार गुप्ता ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया।

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