कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और मोका-मॉरीशस के बीच एमओयू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन केंद्र व मोका मॉरीशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के बीच सतत शांति व भगवद्गीता केयूके चेयर स्थापित करने के लिए एमओयू किया गया। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की अध्यक्षता में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक में समझौते को अनुमोदित किया गया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन केंद्र व मोका मॉरीशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के बीच सतत शांति व भगवद्गीता केयूके चेयर स्थापित करने के लिए एमओयू किया गया। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की अध्यक्षता में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक में समझौते को अनुमोदित किया गया। समझौते के तहत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन केंद्र व मोका मॉरीशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के बीच भगवद् गीता की शिक्षाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने और प्रसार करने के लिए दोनों संस्थान मिलकर कार्य करेंगे।
प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि अनुसंधान और विकास संकाय और छात्र विनिमय पर सहयोग के लिए महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट की मॉरीशस देश में 1970 में स्थापना की गई थी। श्रीमद्भगवदगीता पर शोध को लेकर हुए एमओयू का उद्देश्य अकादमिक व शोध के क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान को एक-दूसरे के साथ सांझा करना है। एमओयू से दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में शिक्षण, शोध व विकास को बढ़ावा मिलेगा और शोध सामग्री का आदान-प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। शोध परियाजनाओं के क्षेत्र में संयुक्त प्रोजेक्ट, सांस्कृतिक व बौद्धिकता को समृद्ध बनाना मुख्य ध्येय है। चेयर की स्थापना से श्रीमद्भगवद्गीता पर सतत शांति संबंधित शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करने में आसानी होगी। मॉरीशस में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट की स्थापना का उद्देश्य
भारत सरकार व मॉरीशस सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 1970 में मोका में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य आपसी संस्कृति को बढ़ावा देना था। इसके साथ ही गांधीवादी शैक्षणिक एवं सामाजिक मूल्यों को प्रचार-प्रसार करना था। इंस्टीट्यूट में पाणिनी भाषा प्रयोगशाला, भाषा संसाधन केंद्र व कला गैलरी शामिल हैं। फैकल्टी, स्नातकोत्तर और शोधार्थियों का होगा आदान-प्रदान
एमओयू के तहत श्रीमद्भगवद्गीता व भारतीय दर्शनशास्त्र, संस्कृत व अन्य क्षेत्रों में शोध करने व शोध को बढ़ावा देने के लिए दोनों ही संस्थानों के आपसी हित के लिए फैकल्टी, शोधार्थी, स्नातकोत्तर व शोधार्थियों का आदान-प्रदान होगा। कोर्स के अंतर्गत पढ़ने वाले विद्यार्थी अकादमिक कार्यक्रम के तहत आदान-प्रदान होगा। एमओयू के माध्यम से शिक्षण कार्यक्रमों में योगदान, सेमिनार, दोनों देशों की बोलचाल की भाषा व अन्य प्रकार के अकादमिक विचार-विमर्श, स्टडी टूर आदि पर विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है।