विपरीत परिस्थितियों में भगवान का स्मरण करें : अनिल शास्त्री

श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति की ओर से सेक्टर तीन के भागवत कथा पंडाल में पंडित अनिल शास्त्री ने चौथे दिन पांडवों के महाप्रयाण के पश्चात श्रेष्ठ ब्राह्माणों के आदेशानुसार महाराज परीक्षित पृथ्वी पर शासन करने पर प्रवचन दिए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 05:25 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 05:25 PM (IST)
विपरीत परिस्थितियों में भगवान का स्मरण करें : अनिल शास्त्री
विपरीत परिस्थितियों में भगवान का स्मरण करें : अनिल शास्त्री

फोटो संख्या : 13 -गो, गीता व गायत्री सत्संग सेवा समिति की ओर से सेक्टर तीन में भागवत कथा का आयोजन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति की ओर से सेक्टर तीन के भागवत कथा पंडाल में पंडित अनिल शास्त्री ने चौथे दिन पांडवों के महाप्रयाण के पश्चात श्रेष्ठ ब्राह्माणों के आदेशानुसार महाराज परीक्षित पृथ्वी पर शासन करने पर प्रवचन दिए।

उन्होंने कहा कि एक बार राजा परीक्षित को पता चला की उनके राज्य की सीमा के भीतर कलियुग का प्रवेश हो रहा है। उन्होंने दिग्विजय करते समय देखा की एक राजवेशधारी शूद्र, एक गाय और बैल को डंडे से पीट रहा है। जैसे उनका कोई स्वामी न हो। श्वेत कमल पुष्प जैसा बैल, शूद्र से अत्याधिक भयभीत था, गाय भी अत्यंत दीन थी। उसके पावों पर वह शूद्र प्रहार कर रहा था। कथावाचक अनिल शास्त्री ने बताया कि राजा परीक्षित गंभीर वाणी से बोले ''तुम हो कौन, जो बलवान प्रतीत होते हुए, मेरे राज्य में दुर्बल प्राणियों को बलपूर्वक मार रहे हो, वेष से राजा परंतु कार्यों से क्षत्रियों के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहे हो, तुम इस निर्दोष को एकांत स्थान में मार रहे हो अत: तुम अपराधी हो और वध के योग्य हो। महाराज परीक्षित ने धर्म रुपी बैल और पृथ्वी रुपी गाय को सांत्वना दी और अधर्म के कारण कलियुग को मारने के लिए तलवार निकाली। कलियुग ने भयभीत होकर उनके चरणों मे अपना सिर रख दिया। परीक्षित ने कलियुग को शरणागत हुए देख उसे मारा नहीं।

परीक्षित ने निश्चित किए रहने के चार स्थान

कथावाचक अनिल शास्त्री ने बताया कि कलियुग ने परीक्षित से प्रार्थना कि वे उसके रहने का स्थान निश्चित कर दें। महाराज परीक्षित ने कलियुग के रहने के चार स्थान निश्चित कर दिए। वे जुआ खेलना, शराब पीना, वेश्यावृत्ति, पशु वध में होते हैं। कलियुग ने और भी स्थान मांगे तो राजा ने उसे उस स्थान पर रहने की अनुमति प्रदान कर दी जहां स्वर्ण उपलब्ध होता है। इस प्रकार कलियुग के रहने के पांच स्थान झूठ, मद, काम, वैर और रजोगुण हो गए।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आत्मप्रकाश मनचंदा, नीट के प्रो. डा. पीसी तिवारी, मुकेश सैनी, अमित सैनी, अनिल गिल, डा. जीत सिंह मेहरा, आयुष चिकित्सा अधिकारी डा. राम अवतार, डा. मनदीप सिंह मौजूद रहे।

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