एलएनजेपी अस्पताल पर 70 लाख का कर्ज, दवा कंपनियों का भुगतान अटका

कोरोना काल में एलएनजेपी अस्पताल दवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का डिफाल्टर हो गया है। अस्पताल पर 70 लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया है। पैसा अदा नहीं करने की वजह से इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:44 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:44 AM (IST)
एलएनजेपी अस्पताल पर 70 लाख का कर्ज, दवा कंपनियों का भुगतान अटका
एलएनजेपी अस्पताल पर 70 लाख का कर्ज, दवा कंपनियों का भुगतान अटका

फोटो संख्या : 01

-मरीजों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा, नहीं मिल रही दवाएं नंबरगेम

-1 साल से स्थिति ज्यादा खराब

-8-9 कंपनियां उपलब्ध कराती हैं अस्पताल को दवाएं

-5 लाख से 20 लाख तक कंपनियों के अटके पैसे जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कोरोना काल में एलएनजेपी अस्पताल दवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का डिफाल्टर हो गया है। अस्पताल पर 70 लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया है। पैसा अदा नहीं करने की वजह से इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में इनडोर और आउटडोर आने वाले मरीजों को सारी दवाएं नहीं मिल पा रही। इतना ही नहीं अस्पताल के आपरेशन थियेटर तक में जरूरी इंजेक्शन की किल्लत हो गई है। प्रोपोफोल और थायपैंटोन इंजेक्शन के लिए भी स्टाफ को हाथ पसारने पड़ रहे हैं। यह तब है जब कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए सरकार सबसे ज्यादा सरकारी अस्पतालों को मजबूत करने में जुटी है और बेहतर से बेहतर उपकरण उपलब्ध करा रही है। हर तीन माह में अस्पताल प्रशासन को दवाओं के लिए लाखों रुपये का बजट उपलब्ध कराया जाता है। इसके बावजूद दवाओं के नाम पर खर्च करने के लिए अस्पताल प्रशासन के पास पैसे की कमी है।

जरूरी इंजेक्शन व दवाएं नहीं मिलती वेयरहाउस से

एलएनजेपी अस्पताल के आपरेशन थियेटर और इनडोर में प्रयोग होने वाले कई जरूरी इंजेक्शन और दवाएं करनाल वेयर हाउस से नहीं मिलती। इसके अलावा ओपीडी में मरीजों को दी जाने वाली दवाएं भी वेयर हाउस से पूरी मात्रा में नहीं मिल पाती। कफ सिरप, जलन जैसी सामान्य दवाओं की भी अस्पतालों की ओर से अपने स्तर पर खरीद करनी पड़ती है। इसके लिए एलएनजेपी अस्पताल को मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत अस्पताल को हर तिमाही लाखों रुपये का बजट भी दिया जाता है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन दवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का भुगतान नहीं कर पा रहा है। ऐसे में एमएमईवाइ प्रोजेक्ट का पैसा कहां जा रहा है यह भी जांच का विषय है।

एक साल से स्थिति ज्यादा खराब

स्वास्थ्य विभाग को दवा उपलब्ध कराने वाली एक एजेंसी संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एलएनजेपी अस्पताल को उसके 10 से 15 लाख रुपये अदा करने हैं। एक साल से समस्या ज्यादा खराब हुई है। बीच-बीच में अगर अस्पताल प्रशासन डिमांड करता है तो कुछ दवाएं उपलब्ध भी करा दी जाती है। मगर पुरानी राशि जल्द से जल्द अदा की जानी चाहिए। एजेंसी मालिक ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार अस्पताल को दवाओं के लिए बजट उपलब्ध नहीं कराती। सरकार तो बजट उपलब्ध कराती है, लेकिन अस्पताल प्रशासन उस बजट का प्रयोग दूसरे कार्यों में कर देता है, जो कि नहीं किया जाना चाहिए। अस्पतालों में बजट का 70 फीसद खर्चा दवाओं पर ही खर्च होना चाहिए।

सीएमओ ने भेजा डिमांड : डा. साराह

एलएनजेपी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. साराह अग्रवाल ने बताया कि यह राशि काफी पुरानी अटकी हुई है। हाल ही में 20 लाख रुपये एजेंसियों में डिस्ट्रिब्यूट किया गया था। अब फिर से सिविल सर्जन कार्यालय से डिमांड की हुई है। जैसे ही बजट उपलब्ध होगा उसे डिस्ट्रिब्यूट कर दिया जाएगा।

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