गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग डस्टबीन में डालना जरूरी
स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 को लेकर नगरपरिषद थानेसर ने तैयारी शुरू कर दी हैं। इसमें रैंकिग पाने के लिए कार्यालय में शुक्रवार को मीटिग की गई। इसमें सक्षम युवाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के टिप्स दिए गए। उनको गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने और गीले कचरे को प्रयोग में लाने के तरीके बताए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 को लेकर नगरपरिषद थानेसर ने तैयारी शुरू कर दी हैं। इसमें रैंकिग पाने के लिए कार्यालय में शुक्रवार को मीटिग की गई। इसमें सक्षम युवाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के टिप्स दिए गए। उनको गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने और गीले कचरे को प्रयोग में लाने के तरीके बताए।
नगरपरिषद के सफाई निरीक्षक संजय कुमार लांबा ने बताया कि गीले कचरे के लिए हरे डस्टबीन, सूखे कचरे के लिए नीले डस्टबीन का प्रयोग किया जाना चाहिए। गीले कचरे की बात करें तो उसमें घरों के किचन से निकलने वाला कूड़ा-कर्कट व घरों में बनाए पार्क-गार्डन इत्यादि से निकलने वाली फूल-पत्तियां होती हैं। यदि इनके लिए घरों में अलग डस्टबीन होगा तो इस कचरे से खाद बनाई जा सकती है। जिसका प्रयोग फसलों के लिए किया जाता है। वहीं सूखे कचरे में प्लास्टिक, पेपर, लोहा, बोर्ड व अन्य वस्तुएं आती हैं। यदि इनके लिए नीले रंग का डस्टबीन घरों में होगा तो इन्हें रिसाइकिलिग करने में परेशानी नहीं होगी।
बायो मेडिकल वेस्ट सबसे खतरनाक
स्वच्छ भारत मिशन के जिला सहयोगी रजत कुमार ने खतरनाक कचरा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि घरों में अकसर ब्लैड, सीरिज, कांच व सीएलएफ भी मिलते हैं और डोमेस्टिक बायोमेडिकल वेस्ट मास्क, गलब्स व कोविड-19 से जुड़ा सामान होता है। उसे भी उचित तरीके से नष्ट करना चाहिए। कई बार डंप साइट पर पशु चले जाते हैं और वे इन्हें खा जाते हैं। इस तरह का वेस्ट पेट में जाने से उनको नुकसान होगा। कई बार उनकी मौत भी हो जाती है। इसलिए सफाई और गीला व सूखा कूड़ा के लिए अलग-अलग डस्टबीन जरूर लगाएं। इस मौके पर स्वच्छ भारत मिशन के सहायक आकाश, सुपरवाइजर सोनिया शर्मा, मंजीत सिंह सैनी, मलकीत व सतबीर मौजूद रहे।