नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचाना जरूरी : प्रो. एमएम गोयल
कुरुक्षेत्र। पूर्व कुलपति और नीडोनॉमिस्ट प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत विदेशी विश्वविद्यालयों को कैंपस स्थापित करने के साथ अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचना जरूरी है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व कुलपति और नीडोनॉमिस्ट प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत विदेशी विश्वविद्यालयों को कैंपस स्थापित करने के साथ अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचना जरूरी है। आज हमें चुनौती को स्वीकार करने की आवश्यकता है। भले ही हम कमजोर हों, लेकिन आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता के साथ अद्वितीय बन सकते हैं।
उन्होंने ये बात राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई की और से आयोजित नई शिक्षा नीति-2020 के जागरूकता विषय पर वेबिनार को संबोधित करते हुए कही।
प्रो. गोयल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए शिक्षा के हर स्तर पर प्रवेश नहीं करना चाहिए । बल्कि सरकार को पूरे देश को सार्वजनिक रूप से माध्यमिक शिक्षा फ्री करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जन्म, विवाह और मृत्यु प्रमाण पत्र की उचित मूल्य निर्धारण नीति सहित संसाधनों को उत्पन्न करने की स्वतंत्रता के साथ प्राथमिक शिक्षा को स्थानीय सरकारों को देखने की आवश्यक है।
उनका मानना है कि व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा सहित उच्च शिक्षा के क्षेत्र को पीपीपी मॉडल के साथ राज्यों पर छोड़ा जा सकता है। इससे दक्षता, पर्याप्तता और इक्विटी आएगी। गुणवत्ता में सुधार करने के लिए शिक्षकों को संचालन के सभी स्तरों पर स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) होना चाहिए। इससे पूर्व प्रोफेसर किरण चौधरी ने प्रो. एमएम गोयल की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया।