एड्स को लेकर सभी को जागरूक करना जरूरी : सैनी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूथ रेडक्रास के फील्ड को-आर्डिनेटर राजेंद्र सैनी ने कहा कि एड्स को लेकर सभी को जागरूक करना जरूरी है। जागरूक होकर ही एड्स को बढ़ने से रोका जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 12:03 AM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 12:03 AM (IST)
एड्स को लेकर सभी को जागरूक करना जरूरी : सैनी
एड्स को लेकर सभी को जागरूक करना जरूरी : सैनी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूथ रेडक्रास के फील्ड को-आर्डिनेटर राजेंद्र सैनी ने कहा कि एड्स को लेकर सभी को जागरूक करना जरूरी है। जागरूक होकर ही एड्स को बढ़ने से रोका जा सकता है। वह बुधवार को कुवि में यूथ रेडक्रास यूनिट की ओर से विश्व एड्स दिवस पर निकाली गई जारूकता रैली के शुभारंभ अवसर पर वालंटियर्स को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि समाज को एड्स के खतरे के प्रति जागरूक रखना हम सबका दायित्व है। प्रतिवर्ष एड्स से अनेकों मौतें हो रही हैं। उन्होंने एड्स के होने वाले कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा की। यूथ रेड क्रास के प्रोग्राम काउंसलर डा. रमेश कुमार ने बताया कि किस प्रकार बीते कुछ दशकों से एड्स के बारे में फैले भ्रम दूर हुए हैं और लोग कैसे पहले की अपेक्षाकृत जागरूक हुए हैं। इस अवसर पर प्रोग्राम काउंसलर डा. विजय कुमार, वालंटियर्स कृष्ण, मनीषा, आइना, शिवानी, काजल, चेतना, तेजस्वी व रिचा मौजूद रही।

तीनों कृषि कानून उत्पादन, संग्रहण और बिक्री पर केंद्रित : शर्मा जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पंचवर्षीय विधि संस्थान के निदेशक प्रो. राजपाल शर्मा ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारी अधिकतर जनसंख्या गांवों में निवास करती है। हमारे गांव देश की कृषि का मुख्य स्त्रोत हैं। इसलिए गांव देश की अर्थव्यवस्था की धूरी हैं।

उन्होंने यह बात बुधवार को संस्थान में तीन कृषि कानून, भूतकाल, वर्तमान व भविष्य विषय पर समूह वार्तालाप कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार समय-समय पर कृषि क्षेत्र में विभिन्न सुधार करती रही है। इस संदर्भ में तीनों कृषि कानूनों की सितंबर 2020 से नवंबर 2021 तक की यात्रा खेती की उपज के उत्पादन, स्टोरेज तथा बिक्री के अहम मुद्दों पर केंद्रित हैं। इन कृषि कानूनों पर युवा वर्ग से किया गया आलोचनात्मक मंथन भविष्य में आने वाली कृषि संबंधी नीतियों व कानूनों के निर्माण की आधारशिला रखता है। यह कार्यक्रम भावी कानूनविदों को इस बारे में जागरूक करने तथा एक आम सहमति विकसित करने की दिशा में अत्यंत सराहनीय कदम है। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजिका डा. शालू अग्रवाल, विनीता, कुशाग्र वर्मा, तान्या, वैभव व अमूल्य शामिल रहे।

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