झांसा की छात्रा और छात्र की मौत के मामले में पुलिस खाली हाथ

संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद: द¨रदगी की शिकार दसवीं कक्षा की छात्रा व छात्र की मौत की जांच सीबीआइ को देने का दावा सवा दो माह बाद भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। पीड़ित परिजनों की आस पर अब धूल की मोटी परत जमने लगी है। पुलिस की दो एसआइटी की जांच से पहले ही असंतुष्ट परिजन अब तो जैसे टूट ही चले हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 01:17 AM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 01:17 AM (IST)
झांसा की छात्रा और छात्र की मौत के मामले में पुलिस खाली हाथ
झांसा की छात्रा और छात्र की मौत के मामले में पुलिस खाली हाथ

संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद: द¨रदगी की शिकार दसवीं कक्षा की छात्रा व छात्र की मौत की जांच सीबीआइ को देने का दावा सवा दो माह बाद भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। पीड़ित परिजनों की आस पर अब धूल की मोटी परत जमने लगी है। पुलिस की दो एसआइटी की जांच से पहले ही असंतुष्ट परिजन अब तो जैसे टूट ही चले हैं। प्रदेश सरकार इस मामले में 311 दिन बीतने के बाद भी पीड़ितों को कोई मरहम नहीं लगा सकी है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पीड़ित परिजनों को सात सितंबर को मामला सीबीआइ को देने का भरोसा दिलाया था। पीड़ित परिजन मामले के आरंभ से ही पुलिस की जांच से संतुष्ट न होकर सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे। मगर अभी तक इस जांच एजेंसी ने पीड़ितों से कोई संपर्क नहीं किया है। छात्रा के पिता सुरेंद्र का कहना है कि खुद राज्यमंत्री कृष्ण बेदी ने मामला सीबीआइ को देने की घोषणा की थी। उनका कहना है कि जैसे-जैसे मामले में देरी हो रही है, उसी प्रकार आस भी कम होती जा रही है। सुरेंद्र का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से यह भी नहीं बताया जा रहा है कि आखिर जांच के आदेश कहां तक पहुंचे हैं। यह है मामला

दसवीं कक्षा की छात्रा और बारहवीं कक्षा का छात्र गुलशन इसी साल नौ जनवरी की शाम को गांव झांसा से लापता हो गए थे। 12 जनवरी को छात्रा का शव जींद के पास बुढ़ाखेड़ा में नहर के पास मिला। 16 जनवरी को छात्र गुलशन का शव करनाल के पास बटहेड़ा नहर से मिला। छात्रा के शव पर 19 निशान मौत से पहले के थे। छात्रा के गुप्तांगों पर नुकेले औजार से वार किए गए थे। मेडिकल में छात्रा का लीवर फटा मिला। छात्रा को नहर की पटरी पर दूर तक घसीटने तक की पुष्टि हुई। छात्र गुलशन का शव अर्धनग्न अवस्था में नहर से मिला।

जांच चल रही है

पहले पुलिस ने डीएसपी धीरज कुमार के नेतृत्व में एसआइटी गठित की। इस टीम ने करीब 3200 लोगों से पूछताछ की। झांसा से जींद तक के मोबाइल टावरों के डंप खंगाले गए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने करनाल के तत्कालीन आइजी सुभाष यादव व कैथल की एसपी आस्था मोदी की सदस्य वाली एसआइटी गठित की। इस एसआइटी की जांच से भी पीड़ित परिजन संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद पीड़ित परिजनों ने चंडीगढ़ में पहुंचकर मुख्यमंत्री के समक्ष न्याय की गुहार लगाई। मौके पर राज्यमंत्री कृष्ण बेदी ने मामला सीबीआइ को देने की घोषणा की। इसके बाद इस पर आज तक अमल नहीं हो पाया है।

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