उबड़-खाबड़ मैदान पर साइकिल दौड़ा रहे खिलाड़ी

टोक्यो ओेलिपिक जैसे बड़े आयोजन में पदक जीतने के बाद भी खिलाड़ियों को मूल सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में साइकिलिग के खिलाड़ियों की साइकिल उबड़-खाबड़ मैदान पर दौड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Aug 2021 11:14 PM (IST) Updated:Sat, 28 Aug 2021 11:14 PM (IST)
उबड़-खाबड़ मैदान पर साइकिल दौड़ा रहे खिलाड़ी
उबड़-खाबड़ मैदान पर साइकिल दौड़ा रहे खिलाड़ी

अनुज शर्मा, कुरुक्षेत्र :

टोक्यो ओेलिपिक जैसे बड़े आयोजन में पदक जीतने के बाद भी खिलाड़ियों को मूल सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में साइकिलिग के खिलाड़ियों की साइकिल उबड़-खाबड़ मैदान पर दौड़ रही है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के खेल परिसर में आयोजित साइकिलिग प्रतियोगिता में घास और उबड़-खाबड़ मैदान पर ही खिलाड़ी प्रतियोगिता में जीत को लेकर पसीना बहा रहे हैं। जबकि यह वेलोड्रम पर करवाई जाती है। प्रदेश के किसी भी जिले में वैलोड्रम नहीं है।

रोहतक में वेलोड्रम प्रस्तावित था। पिछले दिनों इसे कुरुक्षेत्र में बनाने का फैसला लिया गया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में वैलोड्रम बनाया जाना था, लेकिन यह यहां पर भी मूर्त रूप नहीं मिल पाया है। ऐसे में खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता पर भी नाराजगी जताई और प्रदेश के एक जिले में वैलोड्रम बनाने की मांग की। जिससे हरियाणा के खिलाड़ी नेशनल तक ही सीमित न रह सकें।

वेलोड्रम पर तैयारी बेहतर

फोटो कोट्स - 2

साइकिलिग खिलाड़ी विकास कुमार ने बताया कि वे 2016 और 2019 में दो बार नेशनल में मेडल लेकर आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद एशिया कप में भाग लेने के लिए बड़ी तैयारी की जरूरत पड़ती है। जिसकी तैयारी वैलोड्रम पर ही हो सकती है, लेकिन प्रदेश में कही भी वैलोड्रम नहीं है। ऐसे में ओलिपिक तक जाने की क्षमता रखने वाले खिलाड़ी नेशनल तक ही सिमट कर रह जाते है। रेसिग 2013 का माडल उपयोग में फोटो कोट्स - 3

साइकिलिग खिलाड़ी रोहित कुमार ने बताया कि वे स्टेट में गोल्ड मेडलिस्ट हैं और नेशनल में अपनी प्रतिभागिता दर्ज करा चुके हैं। देश में नई-नई तकनीक आ चुकी हैं, लेकिन प्रदेश में अभी तक रेसिग साइकिल का 2013 माडल ही उपयोग किया जा रहा है। यह माडल अन्य देशों में सात-आठ साल पहले छोड़ दिया था। ऐसे में खिलाड़ी एशिया कप, एशियन चैंपियनशिप में भाग लेने के सपने ही देख सकते हैं।

सरकार कुछ सुविधा दिलाए

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साइकिलिग खिलाड़ी सुखविद्र सिंह ने बताया कि साइकिलिग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कुछ सोचना चाहिए। चूंकि यहां पर खिलाड़ी अपने दम ही महंगी साइकिल खरीद कर ही प्रतिभागिता दर्ज कराते है। वहीं अन्य देशों में अकादमी स्तर पर ही साइकिल खरीदे जाते है। प्रतियोगिता के बीच में अगर साइकिल में कुछ खराबी आ जाए तो खिलाड़ी स्वयं ही साइकिल को ठीक करते है। वहीं अन्य देशों में इसके लिए अलग से मैकेनिक होते है।

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