बढ़ती उम्र के लोगों से पूछो.प्यार सिर्फ जवानी नहीं है
अदबी महफिल का आयोजन किया गया। इसमें शाहाबाद के साथ करनाल से पहुंचे शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय बांध दिया। इस महफिल ने में करनाल से शायर शब्द दीप्ति ने विशेष रूप से शिरकत की।
संवाद सहयोगी, शाहाबाद : शाहाबाद में कुलवंत सिंह चावला रफीक के निवास पर अदबी महफिल का आयोजन किया गया। इसमें शाहाबाद के साथ करनाल से पहुंचे शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय बांध दिया। इस महफिल ने में करनाल से शायर शब्द दीप्ति ने विशेष रूप से शिरकत की।
महफिल की शुरुआत प्रिसिपल जोगेन्द्र सिंह ने अपनी रचना जीओंदे वसदे रहो से आज के मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए सच व उसूलों वाला जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया। करनाल से पहुंची शायर शब्द दीप्ति ने इश्क सिर्फ दर्द की ही कहानी नहीं है। इश्क आंखों का पानी नहीं है, ढलती उम्र के लोगों से पूछा इश्क सिर्फ जवानी नहीं है, पेश की।
शायर चंचल सहज ने श्रीगुरु नानक देव के पिता महता कालू जी व राय बुलार की बातचीत को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। शायर कुलवंत सिंह चावला ने अपनी रचना जदों कोई राज खोले तां बड़ी तकलीफ हुंदी है, जो कोई विश्वास तोड़े तां बड़ी तकलीफ हुंदी है बातरन्नुम प्रस्तुत की। शायर जसवंत सिंह ने अपनी रचना बाबा तेते पंजा साहिब ते पंचा ला चले हां पेश की।
शायर हरीश खुराना ने अपनी रचना मेरी जिदगी तो कितनी हसीन है, कमसिन, खट्टी-मीठी और नमकीन है। कहानीकार ने अपनी कहानी के माध्यम से पत्नी के निधन के बाद पति के जीवन के दर्द को बयां किया। शायर सुरेंद्र पाल सिंह वधावन ने अपनी रचना सारी उम्र में बुत तराशदा रिहा प्रस्तुत की। शायर डॉ.देवेंद्र बीबीपुरिया ने कहा कि कारण मौत दा मेरी बड़ा भारा निकल्या है, मेरे दिल चों किसे दी याद दा पारा निकल्या है पेश की।
शायर जितेंद्र सिंह ने अपनी रचना घर नूं घर बनावां किदां.लड़दिआं नूं समझांवा किदा, पेश की। इसके अलावा शायरों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुति की। महफिल में करनाल से पहुंची शायर शब्द दीप्ति स्मृति चिन्ह भेंट किया गया और शायर डॉ.देवेंद्र बीबीपुरिया की पुस्तक अधा-पौना झूठ का विमोचन भी किया गया।