कोरोना से दूसरों को बचाने के लिए जिम्मेदारी से निभाई ड्यूटी
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में लिया। बहुत से लोगों ऐसी उम्र में अपने को छोड़ कर चले गए जब उन पर कई बड़ी जिम्मेदारियां थी। लोगों की जिदगी बचाने के लिए ऐसे लोग भी थे जो खुद तो कोरोना से बचे ही साथ ही लोगों को भी जागरूक कर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ड्यूटी पर तैनात रहे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में लिया। बहुत से लोगों ऐसी उम्र में अपने को छोड़ कर चले गए, जब उन पर कई बड़ी जिम्मेदारियां थी। लोगों की जिदगी बचाने के लिए ऐसे लोग भी थे जो खुद तो कोरोना से बचे ही, साथ ही लोगों को भी जागरूक कर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ड्यूटी पर तैनात रहे। कोरोना की दूसरी लहर के लिए लोगों की लापरवाही अहम रही थी। ऐसे में पुलिस विभाग पर सख्ती से लाकडाउन के नियमों की पालना करना बेहद जरूरी था। शहर के मुख्य मार्गो पर लाकडाउन के दौरान भी आवाजाही रही, बेशक दुकानें बंद थी, मगर लोग घरों से बाहर निकलने से नहीं मानें। ऐसे में यातायात पुलिस के एसआइ जीत सिंह की ड्यूटी शहर के व्यक्त चौकों व मुख्य रेलवे रोड पर लगाई थी। वे खुद तो कोरोना महामारी से बचे साथ ही उन्होंने लोगों को भी कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया। उनके ड्यूटी पर तैनात होते समय वाहन चालक वापस अपने घरों की तरफ लौट जाते थे।
रेलवे रोड पर चार घंटे की ड्यूटी
यातायात पुलिस के तत्कालीन एसआइ जीत सिंह की ड्यूटी अब डायल 112 पर लगाई गई है। कोरोना की दूसरी लहर में उन्हें पुराने बस अड्डा व रेलवे रोड पर ड्यूटी सौंपी गई थी। दिन में वे पुराने बस अड्डे व देवी लाल चौक पर ड्यूटी देते थे। सायं तीन बजे से वे रेलवे रोड पर अपनी टीम के साथ आ जाते थे। रेलवे रोड पर बिना बैठे चार घंटे ड्यूटी के दौरान वे हर आने-जाने वाले को मास्क पहनने के लिए जागरूक करने के साथ चालान करते थे। बहुत से लोगों को तो वे स्वयं मास्क पहनना भी बताते थे।
सुबह आठ से रात आठ बजे तक थी ड्यूटी
एसआइ जीत सिंह की सुबह आठ से रात आठ बजे तक ड्यूटी थी। वे सुबह आठ बजे अपनी ड्यूटी संभाल लेते थे और लाकडाउन के नियमों की अनदेखी करने वालों के चालान करते थे। यह क्रम सायं आठ बजे तक चलता था। एसआइ जीत सिंह ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में वे सुबह घर से खाना खा कर निकलते थी और घर जा कर ही खाना खाते थे। इसी का परिणाम रहा कि वे कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में नहीं आए।
करते थे सर्वत्र भले की अरदास
एसआइ जीत सिंह का कहना है कि सुबह चार बजे उनका उठने का नियम है। स्नान आदि के बाद वे पाठ करते थे और गुरु महाराज से सर्वत्र के भले की अरदास करते थे, ताकि कोरोना महामारी से लोग सुरक्षित रहें। रात को घर पहुंच कर स्नान आदि के बाद ही वे अपने परिवार से मिलते थे और अपनी पौत्री से दिन भर की बातें करते थे।