गांवों में कोरोना बेकाबू, स्वास्थ्य सेवाएं लचर
बाबैन कोरोना वायरस शहरों से गांवों में दाखिल हो चुका है। शहरों में तो संसाधन और निजी अस्पतालों की कमी नहीं थी। मगर यहां के हालात फिर भी बेकाबू हो गए। ऐसे में कोरोना वायरस गांवों में लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।
सोहन सैनी, बाबैन :
कोरोना वायरस शहरों से गांवों में दाखिल हो चुका है। शहरों में तो संसाधन और निजी अस्पतालों की कमी नहीं थी। मगर यहां के हालात फिर भी बेकाबू हो गए। ऐसे में कोरोना वायरस गांवों में लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। खतरा भांपने के बाद भी सीएचसी स्तर पर सुविधाओं को सुधारने की दिशा में काम नहीं किया गया।
ग्रामीण क्षेत्र में सीएचसी और पीएचसी ही स्वास्थ्य सेवाओं का आधार होती हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो इनकी हालत अच्छी नहीं हैं। कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तो इतनी भी तैयारी नहीं है कि यहां सामान्य मरीजों का ही ढंग से इलाज नहीं हो पाता। ऐसे में कोरोना वायरस से ग्रामीण स्तर पर सुविधाओं का टोटा कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जान को जोखिम में डाल सकता है। जिले में छह सीएचसी में से एक में भी पुख्ता तैयारी नहीं है।
कागजों में डॉक्टर कर रहे इलाज
बाबैन पीएचसी को तीन साल पहले सीएचसी बनाया गया था। नवंबर 2020 में इसकी नई इमारत का लोकार्पण भी कर दिया गया। यहां कागजों में चिकित्सकों की संख्या जरूर बढ़ी, लेकिन वे भी पूरे नहीं और न ही मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा हुआ। यहां स्वीकृत पांच में से तीन चिकित्सक हैं। इनमें से एक को ऑक्सीजन का प्रबंधन करने के लिए जिला अस्पताल बुला लिया गया है। इसके अलावा 30 की जगह छह बेड उपलब्ध हैं। हर बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई करने के नाम पर एक छोटा प्लांट जरूर लगाया गया, लेकिन अब तक सिलेंडर से ही एक-एक बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है। कोरोना वायरस की गति के सामने स्वास्थ्य सेवाओं के इंतजाम वहीं पुराने ढर्रे पर हैं। ऐसी स्थिति में कोरोना से लड़ने के दावे करने के अलावा बाबैन सीएचसी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं।
संक्रमितों के लिए कोई नया बेड नहीं
बाबैन में 21 कोरोना पॉजिटिव केस एक्टिव हैं। किसी मरीज की हालत गंभीर होती है तो उसे एलएनजेपी अस्पताल में रेफर करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। जबकि जितनी तेजी के साथ कोरोना वायरस बढ़ रहा है उसके मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं का भी प्रसार करना चाहिए और ग्रामीण स्तर पर ही इसका व्यवस्था करने की जरूरत है, लेकिन अब तक स्थितियों में कोई खासा फर्क नहीं दिखा है। वर्जन :
कोरोना पॉजिटिव मरीजों को सीएचसी स्तर पर दाखिल करने की कोई हिदायत नहीं है। सीएचसी में छह बेड उपलब्ध हैं। यहां सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है।
डा. सुधीर शेखावत
कार्यकारी प्रभारी, बाबैन सीएचसी