आयुष विवि कुरुक्षेत्र और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के बीच शोध कार्यो समझौते पर मंथन

आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के जल्द शोध कार्यों को लेकर मिलकर काम कर सकते हैं। इसके लिए मंगलवार को आयुष विवि में दोनों संस्थानों के पदाधिकारियों की बीच बैठक हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:44 AM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:44 AM (IST)
आयुष विवि कुरुक्षेत्र और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के बीच शोध कार्यो समझौते पर मंथन
आयुष विवि कुरुक्षेत्र और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के बीच शोध कार्यो समझौते पर मंथन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के जल्द शोध कार्यों को लेकर मिलकर काम कर सकते हैं। इसके लिए मंगलवार को आयुष विवि में दोनों संस्थानों के पदाधिकारियों की बीच बैठक हुई है। इस पहली बैठक में कई विषयों पर आपसी तालमेल से काम करने पर विचार किया गया है। इसे साथ ही जल्द समझौते को सिरे लगाने के लिए दोनों ओर से कदम बढ़ा दिए गए हैं।

आयुष विवि के कुलपति डा. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेद में गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोमय आदी का अत्यंत महत्व बताया गया है। इन द्रव्यों को आयुर्वेद में गव्य कहा गया है। पांचों को मिलाकर पंचगव्य बनता है और विवि के शोध एवं नवाचार विभाग की ओर से इस तरह के अनेकों विषयों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं। भविष्य में गो-आधारित औषधियों पर आयुर्वेद शास्त्र सम्मत शोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्थान में बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं जो असाध्य बीमारी से ग्रसित होते हैं उन मरीजों को यहां पर शास्त्र सम्मत विधि से आयुर्वेदिक औषधि दी जाती है। इससे वह जल्द ठीक होकर घर लौटते हैं। आयुष विवि में शोध एवं नवाचार विभाग स्थापित किया गया है, जिसमें आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के 14 विभागों पर शोध कार्य किया जा रहा है। विवि का प्रयास रहेगा कि गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार, नागपुर और आयुष विवि भविष्य में मिलकर काम करेंगे।

गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार नागपुर के समन्वयक सुनील मानसिंह ने कहा कि अगर गोवंश को केंद्र में रखकर काम किया जाए तो देश का चहुंमुखी विकास होगा। गाय प्राचीन काल से हमारे देश में आर्थिक का आधार था और अब पंचगव्य बन सकता है। नागपुर में चल रहे दो पंचगव्य चिकित्सा केंद्रों से आज तक 50 हजार से अधिक रोगी लाभान्वित हुए हैं। इनमें विशेष रूप से सफेद दाग, एक्जिमा, सोरायसिस तथा अन्य त्वचा रोग, मुंहासे, बालों में रूशी, वात-व्याधी, मोटापा और यहां तक मधुमेह और किडनी के मरीज शामिल हैं। इस अवसर पर डीन एकेडेमिक आशीष मेहता, डा. राजेंद्र सिंह, डा. रजनीकांत, अतुल गोयल व मनोज कुमार मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी