डीएपी खाद के लिए किसानों में मारामारी
गेहूं बिजाई शुरू होने से पहले ही डीएपी खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है। इफको के गोदाम में भी खाद नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसानों की चिता बढ़ गई है।
संवाद सहयोगी, पिपली : गेहूं बिजाई शुरू होने से पहले ही डीएपी खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है। इफको के गोदाम में भी खाद नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसानों की चिता बढ़ गई है।
पिपली अनाज मंडी में कुछ रसूखदार खाद दवाई विक्रेताओं ने डीएपी खाद का स्टाक है, लेकिन उसको किसानों को खाद की कमी बताकर ब्लैक में लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। जिसके कारण किसान खाद का महंगें दरों पर खरीद रहे हैं। हालांकि मंडी में खाद का स्टाक कर काला बाजारी करने का यह धंधा किस की शह पर फल फूल रहा है। यह तो प्रशासन के लिए जांच का विषय है, लेकिन डीएपी खाद की कर्मी व थोक विक्रेताओं द्वारा स्टाक कर कालाबाजारी की जा रही है। पिपली में इफको के केंद्र भी डीएपी खाद के अभाव में खाली पड़े है।
इफको के इंचार्ज शमशेर सिंह ने बताया कि सितबर से 19 अक्टूबर तक 5125 कट्टे एनपीके और 1605 कट्टे डीएपी के आए हैं। यदि दोनों का आंकलन किया जाए तो इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा दोनों खादों की बिक्री बढ़ी है, लेकिन यदि इफको केंद्र पिछले वर्ष के आंकड़ों की माने तो इस वर्ष 5800 कट्टे की बिक्री इफको पिपली केंद्र में हो चुकी थी। सरकार को बाकायदा डीएपी व अन्य खादों का रोस्टर बनाकर भेजा जाता है, ताकि किसानों को फसलों के दौरान भरपूर मात्रा में खाद उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि इफको केंद्र के इस महीने के अंतर्गत डीएपी खाद आने की उम्मीद है। ऐसे में किसानों को प्राथमिकता के आधार पर खाद वितरित किया जाएगा। किसान डीएपी जगह एनपीके खाद भी गेहूं व अन्य फसलों की बिजाई में प्रयोग ला सकते हैं। एनपीके खाद में भी पोटाश की मात्रा अधिक होती है।