श्रीदुर्गाष्टमी घरों से निकले भक्त, मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब

श्रीदुर्गाष्टमी पर श्रद्धालु घरों से बाहर निकले और मंदिरों में मां का पूजन किया। जिसके चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST)
श्रीदुर्गाष्टमी घरों से निकले भक्त, मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब
श्रीदुर्गाष्टमी घरों से निकले भक्त, मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीदुर्गाष्टमी पर श्रद्धालु घरों से बाहर निकले और मंदिरों में मां का पूजन किया। जिसके चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने मां का पूजन कर अपने व्रत खोले और मां से सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों में अलसुबह ही श्रद्धालु पहुंचना आरंभ हो गए। श्रद्धालुओं ने मां को हलवा, पुरी व चने का भोग लगाया। घरों में श्रद्धालुओं ने कन्या पूजन किया। सुबह ही घरों में कन्या पूजन के लिए भोजन तैयार होने लगा। भोजन तैयार करते ही श्रद्धाभाव से कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराया और उन्हें उपचार भेंट किए।

शनिवार को श्रीदुर्गाष्टमी व नवमी एक ही दिन होने के चलते सुबह ही श्रद्धालुओं ने मां का पूजन करने के लिए तैयारियां आरंभ कर दी। सुबह घरों में हलवा, पुरी, चने व कई तरह के पकवान तैयार किए गए। पकवान तैयार करने के बाद शुरू हुआ कन्याओं को घर बुलाने का सिलसिला। कन्याएं एक घर से निकल कर दूसरे घर में जाती रही। जिस घर में कन्याओं का पूजन चल रहा था, उसके बाहर लोग कन्याओं को अपने घर ले जाने के लिए इंतजार में खड़े रहे। प्राचीन शक्तिपीठ श्रीदेवीकूप भद्रकाली मंदिर में सुबह कपाट खुलते ही श्रद्धालु पहुंचना आरंभ हो गए। श्रद्धालुओं ने देवीकूप पर पूजन किया और मन्नतें पूर्ण होने पर सोने-चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाए। श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दरबार में हाजिरी लगाई। मां के आलौकिक स्वरूप के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर के पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने सभी भगतों को श्रीदुर्गाष्टमी व नवमी की बधाई दी। उन्होंने कहा कि मां सभी भगतों की मन्नत पूर्ण करने वाली है। मंदिर में आयोजित भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

श्रीदुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन में कन्याओं की कमी साफ दिखाई दी। कहीं चार तो कहीं पांच कन्याओं से ही श्रद्धालुओं को काम चलाना पड़ा। सात कंजक पूरी करने के लिए अन्य की प्लेटें रखी गई। जिसे बाद में कन्याओं के घर दिया गया।

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