सावरकर संघर्ष व नेतृत्वशीलता से ओतप्रोत प्रेरणा की प्रतिमूर्ति : वीरेंद्र चौहान

हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने यह बात कही। वह गंगा टेहड़ी गांव में स्थित दिव्यकुलम विद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 01:45 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:14 AM (IST)
सावरकर संघर्ष व नेतृत्वशीलता से ओतप्रोत प्रेरणा की प्रतिमूर्ति : वीरेंद्र चौहान
सावरकर संघर्ष व नेतृत्वशीलता से ओतप्रोत प्रेरणा की प्रतिमूर्ति : वीरेंद्र चौहान

जागरण संवाददाता, करनाल : वीर सावरकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली पंक्ति के योद्धाओं में शिरोमणि हैं। वे भारत के ही नहीं अपितु समूचे संसार में संभवत: इकलौते स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कालापानी अर्थात अंडमान की सेल्यूलर जेल की काल कोठरियां उनके अप्रतिम संघर्ष की आज भी गवाही देती हैं। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने यह बात कही।

वह गंगा टेहड़ी गांव में स्थित दिव्यकुलम विद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वीर सावरकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के संचालक व प्रधानाचार्य राजपाल सिंह ने की। चौहान ने कहा कि वीर सावरकर बाल्यावस्था से नेतृत्व के गुणों से लबरेज थे और बचपन में अपने साथियों पर आधारित वानर सेना बनाकर अंग्रेजों से देश को स्वतंत्र करने की कल्पना किया करते थे। वीर सावरकर ने भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की दास्तान को एक पुस्तक का आकार देकर प्रकाशित करने का अछ्वुत कार्य किया। उनकी लेखनी और पुस्तक से भयाक्रांत अंग्रेजों ने न केवल उनकी किताब को प्रतिबंधित किया बल्कि वीर सावरकर को बंदी बना कर कालापानी की कठोर सजा दे डाली। इस मौके पर डॉ. अनूप सिंह , रोमा, सोनी बिदल, ऋचा शर्मा, प्रदीप शर्मा, संदीप कुमार व रेखा शर्मा मौजूद रहे।

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