गांव घीड़ का तालाब बना कूड़े का डंपिग प्वायंट
गांव घीड़ के ग्रामीणों को बरसों से तालाब की दशा सुधारने की दरकार है। करी
कुंजपुरा : गांव घीड़ के ग्रामीणों को बरसों से तालाब की दशा सुधारने की दरकार है। करीब आठ हजार की आबादी वाले इंद्री हलके के इस गांव में लगभग चार हजार मतदाता हैं। वर्षों से ग्रामीण पशुओं को तालाब में नहलाने एवं पानी पिलाने के लिए तरस रहे हैं। जो तालाब कभी पशुओं के लिए वरदान साबित हो रहे थे, वही आज कूड़ा करकट के डंपिग प्वायंट बने हैं।
ऐसा नहीं कि शासन-प्रशासन को तालाब की दुर्दशा की जानकारी ही न रही हो। हैरानी की बात रही कि मौजूदा सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान एक तत्कालीन मंत्री द्वारा गांव गोद लिया गया था। तब जिला प्रशासन ने गांव में विकास कार्यों का खाका तैयार किया था, जिसमें गांव के मुख्य तालाब को दुरुस्त किया जाना शुमार था। इसके बावजूद तालाब की दुर्दशा बरकरार है।
ग्रामीण हुकम चंद का कहना है कि तालाब का सुधारीकरण किया जाना बेहद जरूरी है। पशुओं का स्वास्थ्य तालाब में नहाने से बेहतर रहता है। मुख्य तालाब गंदगी व मिट्टी से अटा पड़ा है। इसे तुरंत दुरुस्त किया जाए ताकि पशुओं को नहाने एवं पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध हो। सेवाराम ने बताया कि इतने बड़े गांव के तालाब का बरसों से कूड़े करकट के ढेर में तब्दील होना हैरतअंगेज है। सुधारीकारण न होने से पशुपालकों में लंबे समय से नाराजगी पनप रही है। पशुओं को तालाब का पानी उपलब्ध न होने के कारण कई पशु पालकों ने पशु रखने ही बंद कर दिए।
ग्रामीण लीलू राम का कहना है कि कई साल से ग्रामीण अपने पशुओं को तालाब में पानी पिलाने के लिए तरस रहे हैं। निवर्तमान सरपंच अनिल गम्भीर का कहना है कि तालाब विकसित करने के लिए ग्राम पंचायत की तरफ से कई बार प्रस्ताव पारित करके सम्बंधित विभाग से ग्रांट देने का आग्रह किया था। ग्रामीणों ने तालाब को डंपिग स्थल बनाया हुआ है। पंचायती विभाग द्वारा मनरेगा के तहत गांव के दो तालाबों की सफाई के लिए 17 लाख रुपए का ठेका दिया गया है। एक तालाब की सफाई की जा चुकी है। जल्द मुख्य तालाब का सफाई कार्य शुरू हो जाएगा।