फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों का करें उपयोग : डीसी

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला के गांव-गांव में पहुंचकर किसानों को खेतों में फसल अवशेष न जलाने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेषों का समुचित प्रबंधन करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करें कहीं पर भी खेतों में फसल अवशेष न जलाएं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 08:08 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 08:08 PM (IST)
फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों का करें उपयोग : डीसी
फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों का करें उपयोग : डीसी

जागरण संवाददाता, करनाल: उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला के गांव-गांव में पहुंचकर किसानों को खेतों में फसल अवशेष न जलाने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेषों का समुचित प्रबंधन करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करें, कहीं पर भी खेतों में फसल अवशेष न जलाएं।

डीसी ने फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं का जिक्र करते कहा कि मानव स्वास्थ्य से जुड़े इस मुद्दे को लेकर अब सर्वोच्च न्यायालय, एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण विभाग गंभीर है और ऐसे मामलों में भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान कर दिया है। अगर कोई फसल अवशेष जलाया पाया जाता है तो वह पर्यावरण के नुकसान की भरपाई देने के लिए उत्तरदायी होगा। दो एकड़ भूमि तक 2500 रुपये प्रति एकड़ घटना, 2 से 5 एकड़ भूमि तक 5 हजार रुपये प्रति घटना, 5 एकड़ से ज्यादा भूमि 15 हजार रुपये प्रति एकड़ घटना का प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि खेतों में आग लगाने वाले लोग नासमझी करते हैं, जिससे जमीन की सेहत और पर्यावरण दोनों बिगड़ते हैं, और भी कई तरह के नुकसान हैं। इन सब बातों को देखते सरकार फसल अवशेष प्रबंधन पर करोड़ों रुपये खर्च कर किसानों को ऐसी कृषि मशीनरी के साथ जोड़ रही है। जिसमें ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं और अवशेष मिट्टी में ही मिलकर जमीन में पोटाश और नाइट्रोजन की मात्रा को संतुलित बना देते हैं। बड़ी संख्या में कस्टम हायरिग सेंटर या कृषि बैंक खोले जा चुके हैं, जहां से कोई भी किसान बहुत ही वाजिब किराए पर इन यंत्रों को लेकर अपने खेतों में प्रयोग कर सकता है। उन्होंने फसल अवशेष न जलाने के उपायों के बारे में बताया कि पराली को मशीन से काटकर पशुओं का चारा बनाना, पराली को गत्ता मिल में बेचकर धन कमाना, पराली को कंपोस्टिग करके जैविक खाद बनाना शामिल हैं।

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