अनाज मंडियों में बेकाबू हुए हालात तो कुर्सी छोड़ने पर मजबूर हुए अधिकारी

मार्केट मंडी बोर्ड अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली का नमूना इन दिनों अनाज मंडियों में देखा जा सकता है। सीजन की शुरुआत में व्यवस्था के सभी दावे 12वें दिन खोखले साबित हो रहे हैं। जिम्मेदारों के प्रयोगों में किसान उलझ कर रह गया है। प्रथम अधिकारियों के मंडियों में उतरने के बावजूद हालात काबू में नहीं आ रहे। मंडियों को खाली करवाने में अधिकारियों के हाथपांव फूले हुए हैं। दैनिक जागरण लगातार मंडी में उठान और खरीद की कमजोरियों पर सवाल उठा चुका है। कहावत है जब तक सिर पर नहीं पड़ती तब तक किसको परवाह..।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 07:20 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 07:20 AM (IST)
अनाज मंडियों में बेकाबू हुए हालात तो कुर्सी छोड़ने पर मजबूर हुए अधिकारी
अनाज मंडियों में बेकाबू हुए हालात तो कुर्सी छोड़ने पर मजबूर हुए अधिकारी

जागरण संवाददाता, करनाल : मार्केट मंडी बोर्ड अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली का नमूना इन दिनों अनाज मंडियों में देखा जा सकता है। सीजन की शुरुआत में व्यवस्था के सभी दावे 12वें दिन खोखले साबित हो रहे हैं। जिम्मेदारों के प्रयोगों में किसान उलझ कर रह गया है। प्रथम अधिकारियों के मंडियों में उतरने के बावजूद हालात काबू में नहीं आ रहे। मंडियों को खाली करवाने में अधिकारियों के हाथपांव फूले हुए हैं। दैनिक जागरण लगातार मंडी में उठान और खरीद की कमजोरियों पर सवाल उठा चुका है। कहावत है जब तक सिर पर नहीं पड़ती तब तक किसको परवाह..। अब सवाल यह है कि किसानों को आने वाली परेशानियों के लिए कौन अधिकारी अपनी जिम्मेदारी तय करेगा। अपनी खामी को छिपाने के लिए मार्केट मंडी बोर्ड अधिकारी अब शेड्यूल अनुसार गेहूं लाने की बात कर रहे हैं। समीक्षा बैठक में उपायुक्त निशांत कुमार भी मान चुके हैं कि उठान पर लापरवाही की जा रही है।

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खामियों को छिपाने के लिए नहीं मिल रहा रास्ता

शेड्यूल से बाहर होकर पिछले दस दिन से किसान भी ट्रालियों में गेहूं लेकर पहुंच रहा था। अगर प्रथम अधिकारी एक सप्ताह पहले उठान पर गंभीर होते तो अपनी खामियों को छिपाने के लिए अफसरों को नए पैंतरे न लगाने पड़ते। बता दें कि खाद्य आपूर्ति विभाग, हरियाणा वेयर हाउस कार्पोरेशन और हैफेड अपनी क्षमता के अनुसार जिले की मंडियों में खरीद-उठान करवा रही है। हैरानी है कि कागजों का कोटा पूरा करने वाले अधिकारियों के आदेश भी बैठकों तक सीमित हो कर रह गए हैं। कुंजपुरा में सोमवार को किसानों के बवाल के बाद देर शाम एसडीएम आयुष सिन्हा पहुंचे और मंगलवार को एडीसी वीना हुड्डा को निगदू में खरीद एजेंसियों के अधिकारियों को लताड़ लगानी पड़ी। यही नहीं उच्चाधिकारियों की ओर से ड्यूटी मजिस्ट्रेटों को उठान के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।

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बंद की किसानों तक सूचना भी नहीं पहुंचा पाए

निसिग, तरावड़ी, इंद्री, असंध, नीलोखेड़ी में बंद के बावजूद किसान गेहूं लेकर पहुंचे और उनके हाथ परेशानी लगी। अधिकारियों की मानें तो सोमवार दोपहर दो बजे 13 अप्रैल को आवक बंद के आदेश जारी किए गए थे। अब यहां सवाल उठता है कि प्रशासनिक और मार्केट मंडी बोर्ड के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पर खरे उतरते तो किसानों तक यह आदेश पहुंचा सकते थे। मंगलवार को करनाल अनाज मंडी के हालात ऐसे थे कि ट्रालियों की लाइन लगी थी और गेट पास कटवाने के लिए किसान आपस में उलझते दिखाई दिए। किसान संदीप, संजू, गुरपीत ने बताया कि मंडी में गेट पास के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और कोई अधिकारी यहां दिखाई नहीं पड़ रहा है।

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उत्तर प्रदेश के किसानों का क्या कसूर, जिन्हें बैरंग लौटाया जा रहा..

गेहूं खरीद सीजन में व्यवस्था बनाने वाले अधिकारियों को खुद की समीक्षा भी करनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के किसानों का क्या कसूर जोकि ट्रालियों में गेहूं डालकर घर से बिना खाना-पानी करनाल के लिए निकले हैं। मुख्य जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होती तो मंगलवार को लगभग 100 से अधिक किसानों को शेरगढ़ टापू यमुना पुल से बैरंग न लौटाया जाता। पांडोखेड़ी वासी विनोद, बहलोलपुर वासी अदित्य, नागलगुजर का विनोद कुमार, नूरखेड़ी साजिद ने बताया कि करनाल में पंजीकरण करवाया हुआ है और कागज भी दिखाया गया बावजूद उन्हें नाके से आगे नहीं जाने दिया गया। नाके पर ड्यूटी मेजिस्ट्रेट संजीव कुमार ने बताया कि केवल शेड्यूल मैसेज वाले किसानों को हो एंट्री दी जाएगी।

---बॉक्स---- दोपहर में गर्म हवाएं चलने से कम्बाइन की कटाई पर जोर

पिछले तीन दिन से मौसम में गर्माहट बढ़ने लगी है और गर्म हवा के चलते खेतों में फसल कटाई के लिए किसान भी चितित हैं। फसल की सुरक्षा और समय की बचत के लिए कम्बाइन की कटाई ने जोर पकड़ा है। गांव गगाटेहड़ी के किसान दलीप, अमृतपुर कलां के जसबीर के अनुसार जगजाहिर है कि 13 अप्रैल के बाद गेहूं कटाई जोर पकड़ती है बावजूद अधिकारियों की प्रयोगात्मक कार्यप्रणाली के चलते मंडियों में उठान नहीं हो रहा है। सुविधाओं के नाम पर अधिकारियों के दावों के विपरीत किसानों को मंडियों में गेहूं पलटने की जगह नहीं मिल रही है। वहीं मार्केट मंडी बोर्ड सचिव सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गेहूं उठान को लेकर एजेंसियों के अधिकारियों को लगातार कहा जा रहा है। मंडी में आवक अधिक होने के कारण उच्चाधिकारियों के आदेश पर शेड्यूल के अनुसार मोबाइल पर पहुंचे संदेश दिखाने पर ही गेट पास काटा जा रहा है।

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3 लाख 55 हजार 340 मीट्रिक टन गेहूं की आवक

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि गेहूं उठान को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। जिले की मंडियों में शेड्यूल के अनुसार मोबाइल पर मिले संदेश पर गेट पास दिया जाएगा। समीक्षा बैठक में खरीद एजेंसियों को उठान के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 3 लाख 55 हजार 340 मीट्रिक टन गेंहू की आवक विभिन्न परचेज सेंटरों व मंडियों में हुई है।

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