मिलावट की चुनौती से मिलकर निपटेंगे हम
जागरण संवाददाता करनाल भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। लेकिन बढ़ती मिलावट
जागरण संवाददाता, करनाल: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। लेकिन बढ़ती मिलावट के कारण दूध की गुणवत्ता से लेकर लोगों के स्वास्थ्य तक प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चुनौती से निपटने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान तैयार है। संस्थान में दूध परीक्षण की विशेष किट विकसित की गई है। इससे आठ प्रकार की मिलावट पता लगाई जा सकती है। इसमें डिटर्जेंट सहित न्यूट्रालाइजर, यूरिया, ग्लूकोज, हाईड्रोजनपरआक्साइड, माल्टोडिक्सट्रिप व चीनी की मिलावट शामिल है। यह तकनीक 10 उद्यमियों, डेरी सहकारी समितियों के साथ निजी क्षेत्र को भी हस्तांतरित की गई है।
देश की आबादी बढ़ रही है। इसी के साथ दूध की मांग व खपत में भी तेजी से इजाफा होता चला जा रहा है। पहले लोग खुद ही पशुधन पालन करके अपनी आवश्यकता के अनुसार दूध का उपयोग करते थे वहीं अब डेरियों से लेकर कंपनियों के पैकेटबंद दूध का चलन बढ़ गया है। नतीजतन, अधिक मुनाफे की चाहत में दूध और दूध से निर्मित होने वाले ज्यादातर उत्पादों में मिलावट जोरों पर है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने इसे देखते हुए पशुपालकों व आम लोगों में जागरुकता विकसित करने की दिशा में जरूरी कदम उठाए हैं। इसी के तहत दूध में मिलावट को जांचने के लिए विशेष रैपिड टेस्ट स्ट्रिप तैयार की गई है, जो आठ प्रकार की मिलावट परखने में कारगर है।
संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि भारत में 2019-20 में दूध का उत्पादन 198.4 मिलियन टन तक पहुंच गया। यह पूरी दुनिया में कुल उत्पादित दूध का 20 फीसदी है। लेकिन मिलावट के मामले सामने आने से दूध की गुणवत्ता को लेकर भ्रामक स्थिति पैदा हुई और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सही ढंग से कार्य करने वाले पशुपालकों व अन्य इकाइयों की साख पर इससे तमाम सवाल भी खड़े होते हैं। जनता में विश्वास जगाने के लिए संस्थान के मुख्य द्वार पर 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर विशेष परीक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आम लोग अपने दूध के नमूने साथ लाकर जांच करा सकते हैं।
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निजी क्षेत्र से मिलाया हाथ
एनडीआरआइ के निदेशक डा. चौहान ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में संस्थान ने दूध में मिलावट का पता लगाने की तकनीक न केवल सफलतापूर्वक विकसित की बल्कि व्यापक जनहित के ²ष्टिगत इसे 10 उद्यमियों और डेरी सहकारी समितियों के साथ निजी क्षेत्र को भी हस्तांतरित किया है। ऐसी प्रौद्योगिकी के साथ स्थापित स्टार्ट-अप कंपनी मेसर्स डेल्मोस रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने परीक्षण अभियान के लिए संस्थान से हाथ भी मिलाया है। संस्थान इससे पूर्व यह तकनीक मदर डेरी, वेरका, राजस्थान व बिहार कोआपरेटिव सोसायटी आदि इकाइयों को भी उपलब्ध करा चुका है। तकनीक के जरिए तैयार की गई रैपिड टेस्ट स्ट्रिप को दूध में डालने के बाद स्ट्रिप का बदलता रंग दूध की गुणवत्ता व मिलावट दर्शाता है। दावा है कि इस टेस्ट के नतीजे प्रयोगशाला से भी बेहतर हैं। डिटर्जेंट सहित न्यूट्रालाइजर, यूरिया, ग्लूकोज, हाईड्रोजनपरआक्साइड, माल्टोडिक्सट्रिप व चीनी की मिलावट जांचने में यह तकनीक काफी उपयोगी है।
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इसलिए मनाया जाता दुग्ध दिवस
देश में हर साल 26 नवंबर को श्वेत क्रांति के जनक डा. वर्गीज कुरियन की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इस बार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर लोगों में दूध व दूध से बनने वाले उत्पादों में मिलावट की जांच के लिए जागरुकता विकसित करने की पहल की जा रही है। इससे लोगों को मिलावटखोरों की नकेल कसने और शुद्ध दूध की परख करने में मदद हासिल होगी।