लखीमपुर खीरी प्रकरण को लेकर जिला सचिवालय के समक्ष दिया धरना
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर लखीमपुर खीरी प्रकरण में केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को आंदोलनकारियों ने जिला सचिवालय के समक्ष धरना दिया और जमकर रोष जताया। उन्होंने तहसीलदार राजबख्श को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
जागरण संवाददाता, करनाल: संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर लखीमपुर खीरी प्रकरण में केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को आंदोलनकारियों ने जिला सचिवालय के समक्ष धरना दिया और जमकर रोष जताया। उन्होंने तहसीलदार राजबख्श को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
सुबह 11 बजे ही आंदोलनकारी जिला सचिवालय के समक्ष जुटने लगे थे, जिसके साथ ही टेंट लगाकर धरना शुरू कर दिया गया। नारेबाजी करते हुए उन्होंने धरना दोपहर दो बजे तक जारी रखा, जिसके बाद ये सचिवालय परिसर में पहुंचे और कड़ा रोष जताते हुए ज्ञापन सौंपा। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन में उन्होंने कहा कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में कई किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई। यह गाड़ी केंद्रीय राज्यमंत्री की थी जबकि वे पहले इस तरह के बयान देकर भी माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर चुके हैं। इसके बावजूद आज तक उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया। इससे आंदोलकारियों के साथ अन्य लोगों में भी रोष है।
उन्होंने कहा कि राज्यमत्री को बर्खास्त कर सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में विशेष जांच टीम द्वारा जांच व कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्यमंत्री के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए। रामपाल चहल ने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शन में रामपाल चहल, बहादुर सिंह मेहला, मनजीत लालर, हैप्पी ओलख, गुरताज सिंह बड़ैच, नवजोत संधू, गुरदीप धालीवाल सहित अन्य लोग भी शामिल थे।
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पुलिस की कंपनी रही तैनात
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से मंगलवार को जिला सचिवालय घेराव का एलान किया गया था। जिला स्तर के नेताओं द्वारा भी वीडियो जारी कर अधिक संख्या में घेराव में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया था। आशंका थी कि आंदोलनकारी बड़ी संख्या में एकत्रित हो सकते हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन की ओर से हर हालात से निपटने के पुख्ता बंदोबस्त किए गए तो एक कंपनी जिला सचिवालय में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात की गई। खुफिया कर्मी भी पल-पल की जानकारी ले रहे थे लेकिन आंदोलनकारियों की संख्या कम रही तो सब चौंक गए।