ये कैसी सख्ती, जिले में 957 जगहों पर जलाई पराली

जागरण संवाददाता करनाल सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट व प्रदेश सरकार ने धान की पराली व अन्य फस

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 10:49 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 10:49 PM (IST)
ये कैसी सख्ती, जिले में 957 जगहों पर जलाई पराली
ये कैसी सख्ती, जिले में 957 जगहों पर जलाई पराली

जागरण संवाददाता, करनाल: सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट व प्रदेश सरकार ने धान की पराली व अन्य फसलों के अवशेष नहीं जलाने के लिए आदेश तो दे दिए लेकिन जमीनी स्तर पर इन आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिले में 957 जगह पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। इस मामले को लेकर 82 किसानों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि 497 के चालान किए गए हैं। इनसे एक लाख 24 हजार रुपये जुर्माना भी वसूला गया है। 111 मामले प्रक्रिया में हैं। पराली जलाने के मामलों हुई बढ़ोतरी के बाद प्रशासन की सख्ती पर सवाल उठ रहे हैं कि यह किस प्रकार की सख्ती बरती गई कि किसानों ने धान के अवशेषों को धड़ल्ले से आग के हवाले कर दिया।

क्या है किसानों की मजबूरी भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान का कहना है कि ज्यादातर जगह धान की कटाई हार्वेस्टिग कंबाइन मशीनों से होती है। उसमें पराली का ऊपरी हिस्सा कटकर दाने निकलने के बाद एक ओर गिर जाता है जबकि नीचे करीब 9-10 इंच लंबे पराली खड़ी रह जाती है। इनके ऊपर से जुताई के लिए मशीनें जैसे हैरो आदि काम नहीं करती। एक जुताई में किसानों का खर्चा कई गुना बढ़ जाता है। डीजल के दाम बहुत ज्यादा हैं। या तो सरकार किसानों को डीजल सस्ता दे ताकि कई बार जुताई करके पराली को हैरो आदि मशीनों से बारीक किया जा सके, वरना किसानों की मजबूरी है कि वे फानों को आग लगाएंगे।

सरकार ने तय की थी जिम्मेदारी पराली को न जलाने के संबंध में कृषि विभाग, राजस्व विभाग के अधिकारियों-पटवारियों, नंबरदारों और गांवों के सरपंचों तक की ड्यूटी लगाई गई थी कि उनके इलाके में अगर किसी किसान ने पराली जलाई और सेटेलाइट से धुंआ देखा गया तो मुकदमा दर्ज होगा। साथ ही सजा व जुर्माना भी लगाया जाएगा लेकिन सरकारी की यह चेतावनी धरी की धरी रह गई और जमीनी स्तर पर कुछ खास नहीं हुआ।

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वर्जन करनाल के कृषि उपनिदेशक डा. आदित्य डबास का कहना है कि फसल अवशेषों को आग लगाने से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है, बल्कि वातावरण में कार्बनडाइआक्साइड, मोनोआक्साइड व अन्य विषैली गैसों में बढ़ोतरी होती है। इस वजह से हमारे स्वास्थ्य पर इन विषैली गैसों का असर पड़ता है। इतना ही नहीं, आग लगाने से जमीन में जो हमारे मित्र कीड़े होते हैं, वे भी जलकर खत्म हो जाते हैं।

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