निजीकरण के विरोध में प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने हर्बल पार्क में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने दावा है कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में लगभग 30 करोड़ लोग हिस्सा ले रहे हैं।
संवाद सहयोगी, घरौंडा : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने हर्बल पार्क में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने दावा है कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में लगभग 30 करोड़ लोग हिस्सा ले रहे हैं और सरकार की आंखें खोलने का काम कर रहे है। सरकार ने सरकारी विभागों को निजी हाथों में सौंपने के फैसले का नहीं बदला अथवा कर्मचारियों की मांगें नहीं मानी तो सरकार को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
वीरवार को सर्व कर्मचारी संघ के ब्लॉक प्रधान अंकित राणा की अध्यक्षता में नगरपालिका कर्मचारी संघ, ऑल हरियाणा पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल यूनियन, फायर बिग्रेड यूनियन, एएचपीसी वर्कर यूनियन, चतुर्थ क्लास यूनियन के पदाधिकारी व कर्मचारी हर्बल पार्क में एकत्रित हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
एसकेएस के प्रधान अंकित राणा, कर्मचारी नेता कालाराम, राजिद्र सिंह कुटेल, रणबीर फोर, विनोद कुमार, चंद्रभान ने कहा कि सरकारी विभागों का निजीकरण कर सरकार कर्मचारियों की कमर तोड़ना चाहती है। ट्रेड यूनियनें लगातार सरकार से अपनी मांगों को लेकर बैठकें करती आ रही है। सरकार यूनियनों की मांगों को जायज भी ठहरा रही है और उन्हें लागू भी नहीं कर रही। इस वजह से कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है।
कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने व समान काम समान वेतन जैसी मांगों को लेकर बीते दिनों तीन दिन की सांकेतिक हड़ताल भी एसकेएस ने की थी लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी। जिस वह से सभी विभागों के कर्मचारियों को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करनी पड़ रही है। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस हड़ताल में 30 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हिस्सा ले रहे है। यदि सरकार इसके बाद भी नहीं जागी तो ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर उग्र प्रदर्शन से भी पीछे नहीं हटेंगे। कर्मचारी संगठनों की मांगें
हर्बल पार्क में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अपने मांगों का जिक्र किया। इसमें पुरानी पेंशन बहाली, नियमितीकरण की नीति बनाने, डीए और एलटीसी पर लगाई रोक हटाने, कैशलेस मेडिकल सुविधा प्रदान करने, बैकलॉग को विशेष भर्ती करके पूरा करने, पंजाब के समान वेतनमान व पेंशन की मांग की गई। इसके अलावा प्री-मेच्योर रिटायरमेंट आदेश वापस लिए जाएं। श्रम कानूनों में किए गए बदलाव पर रोक लगाई जाए। सरकारी विभागों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। एक्सग्रेसिया रोजगार नीति में लगाई गई शर्तों को हटाया जाए। नई भर्तियों में पांच अंक की कटौती का आदेश वापस लिया जाए। नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों की सेवाएं बहाल की जाए। पहले से नौकरी में लगे कर्मचारियों को नियमित करना व अन्य मांगें शामिल है।