बहरेपन से बचाता जीवनशैली में सामान्य बदलाव: डा. घनश्याम
नागरिक अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय बधिर सप्ताह के तहत नाक-कान व गला रोग विशेषज्ञ डा. घनश्याम जयवर्धन ने ओपीडी में आए बच्चों और उनके तीमारदारों को बहरेपन की बढ़ रही समस्याओं से बचाव के बारे में जानकारी दी। अकसर मां बच्चों को एक करवट लेटाकर दूध पिलाती है जिससे उसकी नली में दूध चला जाता है और बहरेपन की शिकायत बढ़ जाती है। ऐसा न करें। मां बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाएं। हमेशा सतर्कता बरतें।
जागरण संवाददाता, करनाल: नागरिक अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय बधिर सप्ताह के तहत नाक-कान व गला रोग विशेषज्ञ डा. घनश्याम जयवर्धन ने ओपीडी में आए बच्चों और उनके तीमारदारों को बहरेपन की बढ़ रही समस्याओं से बचाव के बारे में जानकारी दी। अकसर मां बच्चों को एक करवट लेटाकर दूध पिलाती है, जिससे उसकी नली में दूध चला जाता है और बहरेपन की शिकायत बढ़ जाती है। ऐसा न करें। मां बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाएं। हमेशा सतर्कता बरतें।
उन्होंने बताया कि लगातार खांसी-जुकाम व नजला जैसी समस्याओं को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बार-बार कान रुक रहे हैं तो चिकित्सक को दिखाएं। अपने स्तर पर दवाई नहीं लेनी चाहिए। कान में कभी भी काटन बड, चाबी या कोई नुकीली चीज नहीं डालनी चाहिए। इससे पर्दा डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। मोबाइल का कम प्रयोग करना चाहिए। डा. जयवर्धन ने कहा कि गांवों में अक्सर बच्चे नहरों व तालाबों में नहाते हैं, जिससे गंदा पानी कान में चला जाता है और कान से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। शुगर व बीपी के मरीजों को नियमित रूप से सुनने की जांच करानी चाहिए।
उन्होंने वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर भी लोगों को बधिरता के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शराब, सिगरेट, गुटखा, पान-मसाला आदि चीजों को अलविदा कहें। यह बहरेपन के साथ कैंसर का कारण भी हो सकता है। कोई भी व्यक्ति ओपीडी में कमरा नंबर सात में आकर जांच करवा सकता है। इस मौके पर उनके साथ सहयोगी के रूप में हवा सिंह व अर्चना भी मौजूद रही।
दुनिया में बढ़ाई जा रही जागरुकता
डा. घनश्याम ने बताया कि विश्व बधिर संघ ने सन 1958 से 26 सितंबर को विश्व बधिर दिवस मनाने का निर्णय लिया था। बाद में इसे सितंबर के अंतिम रविवार को मनाया जाने लगा। अब अंतरराष्ट्रीय बधिर सप्ताह मनाना शुरू किया गया है। इसे मनाने का उद्देश्य बधिरों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। दुनियाभर में सामान्य लोगों के बीच बहरे लोगों की समस्याओं के बारे में समझ बढ़ाना है।