वानिकी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे खुद उगने वाले पौधे
वानिकी को बढ़ावा देने में खुद से फलने-फूलने वाले पौधे पर्यावरण में काफी सहायक होते हैं। नहर किनारे और जंगल क्षेत्रों में इन पेड़ों की संख्या ज्यादा होती है। आसमान और धरती इन पौधों की देखभाल करती है। पेड़ों की छाया में ये पौधे पनप जाते हैं। पीपल शीशम कीकर नीम जामुन आदि के कुछ उदाहरण ऐसे हैं जो बिना देखभाल के पेड़ बन जाते हैं।
---रियलिटी चेक--- फोटो 49 जागरण संवाददाता, करनाल : वानिकी को बढ़ावा देने में खुद से फलने-फूलने वाले पौधे पर्यावरण में काफी सहायक होते हैं। नहर किनारे और जंगल क्षेत्रों में इन पेड़ों की संख्या ज्यादा होती है। आसमान और धरती इन पौधों की देखभाल करती है। पेड़ों की छाया में ये पौधे पनप जाते हैं। पीपल, शीशम, कीकर, नीम, जामुन आदि के कुछ उदाहरण ऐसे हैं जो बिना देखभाल के पेड़ बन जाते हैं। यहां ध्यान देने वाले बात है कि खुद से बड़े होने वाले पौधों के आसपास किसी तरह की आवाजाही न के बराबर होती हैं। नहर किनारे, जंगलात और राजमार्गों के किनारे हमें इस तरह के पौधे मिल जाते हैं। सरकार के प्रयास से किए पौधारोपण के साथ-साथ खुद से पनपने वाले पौधे भी वातावरण संरक्षण में भूमिका निभा रहे हैं।
राजमार्ग किनारे लगे पेड़ बढ़ा रहे शोभा
राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे लगे लाखों पेड़ पर्यावरण में भागीदारी निभा रहे हैं। सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों को सफर में आराम के लिए इन पौधों की भागीदारी है। डिवाइडरों पर रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे लगाए गए हैं। सुनियोजित रूप से लगे वृक्ष लंबी यात्रा को सुखद बनाते हैं और वन-संपदा, जैव विविधता एवं पर्यावरण का संरक्षण करते हैं। पर्यावरण प्रेमी सुखबीर त्यागी ने बताया कि वृक्ष का प्रत्येक भाग उपयोगी होने के कारण आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होते हैं। आज के परिदृश्य में चारों ओर मानव आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है और वन, वृक्षों, पेड़-पौधों व कृषि योग्य भूमि को उजाड़ कर उद्योगों, आवासीय क्षेत्रों व मार्गों का निर्माण किया जा रहा है। हम नये बने राजमार्गों के किनारे पर तेजी से वृद्धि करने वाले घने छायादार वृक्षों का सुनियोजित रोपण कर सकते हैं।
वन विभाग की ओर से लगाए जाते हैं पौधे
डीएफओ नरेश कुमार रंगा ने बताया कि पौधारोपण अभियान में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अहम भूमिका है और इसी श्रृंखला में शनिवार को डा. मंगलसेन ऑडिटोरियम में मुख्यमंत्री पौधारोपण करेंगे। इससे लोगों को भी पौधारोपण की प्रेरणा मिलेगी। नहर और जंगल क्षेत्र में जहां पशु और मनुष्य का आना-जाना कम होता है ऐसी जगह पर अपने-आप पौधे उग जाते हैं। जिले में इस तरह के पौधों की संख्या कम है। क्षेत्र में जंगल नाममात्र हैं। राजमार्ग के दोनों तरफ और नहर के आसपास इस तरह के पौधे पेड़ बने दिखाई दे सकते हैं। अभी पिछले वर्ष नहर के चौड़ीकरण के लिए 500 छोटे-बड़े पेड़ काटने की इजाजत दी गई थी। प्रकृति संभाल के लिए पौधों की विशेष महत्वता है और विभाग इसके लिए लगातार प्रयासरत है।