बदहाल हुआ काछवा का सारंगसर जोहड़
लंबे समय की मांग के बाद लाखों खर्च करने पर भी कुम्हारान मोहल्ले से जुड़ा गांव के पश्चिमी द्वार पर स्थित सारंगसर जोहड़ बदहाल है। फाइव पौंड सिस्टम से बना यह जोहड़ पंचायत व जिला प्रशासन की अनदेखी का मुंह बोलता प्रमाण है। आलम यह है कि इसमें उगी बड़ी-बड़ी जंगली घास व गंदगी से अट रहा जोहड़ विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहा है। करनाल विधानसभा क्षेत्र में आने वाला काछवा महाग्राम पंचायत की श्रेणी में आता है।
संवाद सूत्र, काछवा : लंबे समय की मांग के बाद लाखों खर्च करने पर भी कुम्हारान मोहल्ले से जुड़ा गांव के पश्चिमी द्वार पर स्थित सारंगसर जोहड़ बदहाल है। फाइव पौंड सिस्टम से बना यह जोहड़ पंचायत व जिला प्रशासन की अनदेखी का मुंह बोलता प्रमाण है। आलम यह है कि इसमें उगी बड़ी-बड़ी जंगली घास व गंदगी से अट रहा जोहड़ विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहा है। करनाल विधानसभा क्षेत्र में आने वाला काछवा महाग्राम पंचायत की श्रेणी में आता है। ग्रामीण मानते हैं कि गांव को विकास राशि तो बहुत मिली, लेकिन ग्राम पंचायत व जिला प्रशासन ने उसका उचित प्रबंधन नहीं किया। सारंगसर जोहड़ रमणीक स्थल बनाया जा सकता था। यहां ग्रामीण सुबह सैर करते, अपना स्वास्थ्य सुधारते, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह सांपों का स्थल बनकर रह गया है। गांव के समाजसेवी राजेश कुमार, अरूण कुमार, विक्की कुमार, राजपाल, सुरजीत सिंह, रणजीत सिंह बताते हैं कि सारंगसर जोहड़ के चारों ओर पहले घाट होते थे। सीढिय़ां बनी थी, स्वच्छ जल से 12 महीने यह लबालब रहता था, जिससे जमीन में पानी का लेवल भी 15-20 फुट बना रहता था। हैंड पंप उस समय 25-30 फुट पर लग जाते थे। जैसे-जैसे समय बीता जोहड़ सूखते गए। लोगों ने चारों ओर इसके भू भाग को कब्जाना शुरू कर दिया। आज आधा रह गया है। लगभग पांच एकड़ का भाग बचा है। काफी लोगों ने मकान बना लिए हैं तो कुछ खेती कर रहे हैं। लोगों ने पंचायत प्रशासन से तो इसके सुधार की उम्मीद ही छोड़ दी है।वहीं, काछवा के पंचायत सचिव मुकेश कुमार ने बताया कि ग्रामीणों व सफाईकर्मियों की मदद से जोहड़ की सफाई के लिए तीन-चार दिन अभियान चलाएंगे। तो वहीं बीडीपीओ कंचनलता ने बताया कि जल्द गांव का दौरा करेंगी। ग्रामीणों की मदद से अव्यवस्थाएं दूर करने की कोशिश की जाएगी।