चुनौतियों का अंबार, चिकित्सकों का टोटा

कोरोना संक्रमण की दो लहरों का सामना कर चुके लोगों को अब तीसरी लहर का डर सता रहा है। दोनों लहरों से सबक लेते हुए सरकार ने संसाधनों में वृद्धि की है तो व्यवस्था में भी बदलाव किया है लेकिन डाक्टरों की कमी अब भी बनी है। सवाल लाजिमी है कि कोरोना की तीसरी लहर आई तो कैसे निपटा जाएगा। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो रही।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:12 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:12 PM (IST)
चुनौतियों का अंबार, चिकित्सकों का टोटा
चुनौतियों का अंबार, चिकित्सकों का टोटा

प्रदीप शर्मा, करनाल: कोरोना संक्रमण की दो लहरों का सामना कर चुके लोगों को अब तीसरी लहर का डर सता रहा है। दोनों लहरों से सबक लेते हुए सरकार ने संसाधनों में वृद्धि की है तो व्यवस्था में भी बदलाव किया है लेकिन डाक्टरों की कमी अब भी बनी है। सवाल लाजिमी है कि कोरोना की तीसरी लहर आई तो कैसे निपटा जाएगा। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो रही।

जिले में स्वास्थ्य केंद्रों के अनुसार डाक्टरों की स्थिति चिताजनक है। नागरिक अस्पताल सहित 45 स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों के स्वीकृत पद 169 हैं, जिनमें 82 डाक्टरों की कमी है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा। नियमानुसार 15 हजार आबादी पर एक सरकारी डाक्टर होना चाहिए, लेकिन कुछ जगह 30 हजार की आबादी पर भी डाक्टर नहीं हैं। केसीजीएमसी में नहीं सुपर स्पेशिलिटी

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में अर्से से सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर की कमी है। हालांकि डीजीएमईआर को कई बार लिखा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। यह तब है जब कालेज को कोरोना काल में कोविड अस्पताल घोषित किया गया था। कोरोना काल के बाद यहां आक्सीजन प्लांट लगाया गया मगर खास बदलाव नहीं हुआ। जिले में चिकित्सा व्यवस्था

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के अलावा नागरिक अस्पताल क्रियाशील है। सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दो जनरल अस्पताल, 26 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, एक पोलीक्लीनिक, तीन सिटी डिस्पेंसरी तथा जिला जेल में भी एक केंद्र में इलाज किया जा रहा है। केंद्र का नाम स्वीकृत पद खाली पद

नागरिक अस्पताल 42 17

सीएचसी घरौंडा 06 04

सीएचसी बल्ला 02 02

सीएचसी इंद्री 11 07

जीएच असंध 11 08

सीएचसी तरावड़ी 04 00

जीएच नीलोखेड़ी 11 04

सीएचसी कुंजपुरा 05 03

सीएचसी निगदू 05 03

पीएचसी कुटेल 02 00

पीएचसी चौरा 01 01

पीएचसी गगसीना 02 01

पीएचसी बरसत 02 02

पीएचसी गुढ़ा 02 02

पीएचसी भादसो 02 00

पीएचसी घीड़ 02 00

पीएचसी काछवा 02 01

पीएचसी खुखनी 02 01

पीएचसी मधुबन 01 01

पीएचसी ब्याना 02 01

पीएचसी रंबा 02 02

पीएचसी मृगान 02 02

पीएचसी सालवन 02 02

पीएचसी पाढ़ा 02 01

पीएचसी बड़ौता 02 01

पीएचसी गुल्लरपुर 02 02

पीएचसी सांभली 02 00

पीएचसी जुंडला 02 01

पीएचसी सग्गा 02 00

पीएचसी मूनक 02 02

पीएचसी समानाबाहू 02 02

पीएचसी परढाना 02 01

पीएचसी उपलाना 02 01

पीएचसी पोपड़ा 02 02

पीएचसी जलमाना 02 01

टीबी क्लीनिक करनाल 03 01

पोलीक्लीनिक 02 01

पीपीसी 02 02

सिटी डिस्पेंसरी 01 01

जिला जेल 02 01

नोट : इस प्रकार सभी हेल्थ सेंटरों की स्थिति के अनुसार कुल 82 डाक्टरों के पद खाली हैं। पीएचसी व सीएचसी मिली, डाक्टर नहीं

जिले को पांच नई पीएचसी व एक सीएचसी मिली हैं। घरौंडा में इमरजेंसी भवन मिला है। निर्माण अंतिम चरण में है। नियमानुसार 30 हजार आबादी पर एक पीएचसी और एक लाख आबादी पर सीएचसी होनी चाहिए। पीएचसी में दो और सीएचसी में सात डाक्टर होने चाहिए। पीएचसी व सीएचसी तो मिली मगर डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हुई है। कमी दूर करने के प्रयास, मुख्यालय को लिखा

सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा ने बताया कि स्टाफ की कमी के बारे में मुख्यालय को लिखा गया है। चिकित्सकों की कमी होने के बावजूद बेहतर चिकित्सा सुविधा देने का प्रयास लगातार जारी है। कोरोना काल में हर सीएचसी व पीएचसी स्तर पर 10-10 आक्सीजन बेड की व्यवस्था की गई थी। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। जरूरत के अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

chat bot
आपका साथी