संसार से अंधकार मिटाने के लिए मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति : आचार्य गोतम

संवाद सहयोगी घरौंडा नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 08:05 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 08:05 PM (IST)
संसार से अंधकार मिटाने के लिए मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति : आचार्य गोतम
संसार से अंधकार मिटाने के लिए मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति : आचार्य गोतम

संवाद सहयोगी, घरौंडा : नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। देवी मंदिर के आचार्य मणिप्रसाद गौतम ने प्रवचन करते मां चंद्रघंटा के स्वरूप के प्रवचन किए। आचार्य मणिप्रसाद गौतम ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। मां का तीसरा रूप राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि वह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती है इसलिए उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है। इनकी उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की उपासना साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्रदान करती है। नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की साधना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले उपासक को संसार में यश, कीर्ति और सम्मान मिलता है।

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