सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का ठेका कंपनी को देने का विरोध

गोल मार्केट पार्क में मिड डे मील वर्कर यूनियन की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का ठेका कंपनी को दिए जाने का भारी विरोध किया गया। बैठक में मिड-डे-मील वर्करों की अन्य मांगों को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:25 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:25 AM (IST)
सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का ठेका कंपनी को देने का विरोध
सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का ठेका कंपनी को देने का विरोध

संवाद सूत्र, नीलोखेड़ी: गोल मार्केट पार्क में मिड डे मील वर्कर यूनियन की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का ठेका कंपनी को दिए जाने का भारी विरोध किया गया।

बैठक में मिड-डे-मील वर्करों की अन्य मांगों को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया। मिड-डे-मील वर्कर यूनियन के जिला कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश माटा ने कहा कि सरकार मिड-डे-मील वर्कर 400 बच्चों का खाना बनाती है। वेतन के नाम पर इनका शोषण किया जा रहा है। इन्हें मात्र 3500 रुपये वेतन दिया जाता है। 12 महीने की जगह दस महीने का वेतन दिया जा रहा है। मिड-डे-मील वर्कर को कम से कम अठारह हजार रुपए वेतन मिलना चाहिए। वर्दी भत्ता सलाना तीन सौ की जगह 1200 रुपये दिया जाए। जिन प्राइमरी स्कूलों में 25 से कम बच्चे हैं उन स्कूलों को बंद किया जा रहा है। हरियाणा में 1056 प्राइमरी स्कूल बंद होने जा रहे हैं। प्राइमरी स्कूलों को तोड़ कर सीबीएसई के साथ जोड़ा जा रहा है।

कोषाध्यक्ष ने कहा कि भिवानी में मिड-डे-मिल का खाना बनाने का ठेका एक कंपनी को दे दिया गया है। जिलों में भी खाना बनाने का ठेका प्राइवेट कंपनी को सौंपने की तैयारी चल रही है। इससे मिड-डे-मील बनाने वाली महिलाएं बेरोजगार हो जाएगी। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि नौ अगस्त को करनाल के फव्वारा पार्क में प्रदर्शन किया जाएगा। यदि सरकार ने मिड-डे-मील वर्करों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया तो मिड-डे-मील वर्कर यूनियन सरकार के खिलाफ राज्य स्तर पर आंदोलन चलाने से गुरेज नहीं करेंगी।

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