हृदय रोगियों की जान बचा रही ओपन हार्ट सर्जरी

मौजूदा दौर में अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खान-पान से दिल की बीमारियों का खतरा खासा बढ़ गया है। ऐसे में ओपन हार्ट सर्जरी उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है जो हार्ट अटैक या दिल की किसी अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 08:07 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 08:07 AM (IST)
हृदय रोगियों की जान बचा रही ओपन हार्ट सर्जरी
हृदय रोगियों की जान बचा रही ओपन हार्ट सर्जरी

जागरण संवाददाता, करनाल: मौजूदा दौर में अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खान-पान से दिल की बीमारियों का खतरा खासा बढ़ गया है। ऐसे में ओपन हार्ट सर्जरी उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो हार्ट अटैक या दिल की किसी अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

इस बाबत अमृतधारा अस्पताल के हार्ट सर्जन डा. आयुष श्रीवास्तव ने विशेष वार्ता में बताया कि आज युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक दिल की बीमारियों के शिकार हैं। उचित समय पर इलाज से लोगों की जिदगी बचाई जा सकती है। ओपन हार्ट सर्जरी दिल का दौरा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज आदि ठीक करने के लिए की जाती है। क्यों पड़ती है जरूरत

डा. आयुष ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को कोरोनरी ह्रदय रोग होता है, तो इस स्थिति में ओपन हार्ट सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। ह्रदय वाल्व या दिल का कुछ हिस्सा खराब होने पर भी इस सर्जरी को किया जाता है। अक्सर सेहतमंद दिल को खराब दिल से बदला जाता है लेकिन जब डोनर दिल खराब हो जाता है तो उसे ठीक करने के लिए भी यह सर्जरी की जाती है। कैसे की जाती है सर्जरी

सबसे पहले एनेस्थीसिया दिया जाता है। फिर छाती पर 8 से 10 इंच का कट लगता है। मरीज को हार्ट-लंग बाइपास मशीन से जोड़ा जाता है, ताकि सांस लेने में दिक्कत न हो। सेहतमंद नस के उपयोग से ब्लॉक धमनी के आस-पास नई जगह बनाई जाती है। इसके बाद छाती को तार के इस्तेमाल से बंद करते हैं और कट पर टांके लगा देते हैं। सर्जरी के बाद ऐसे करें देखभाल

सर्जरी के बाद मरीज को एक-दो दिन आईसीयू में रखा जाता है। हृदय की सक्रियता की नियमित जांच की जाती है। बांह पर एक इंट्रावेनस यानि नस के अंदर सुई लगाकर दवा व आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। सांस लेने और पेट से स्त्राव निकालने के लिए अलग अलग ट्यूब लगाई जाती हैं। पेशाब के लिए कैथिटर लगाया जाता है। रक्त चाप जांच के लिए आर्टेरियल लाइन चेस्ट ट्यूब लगती है। ऑक्सीजन थेरेपी टेम्परेरी पेसमेकर पर बैंडेज लगाई जाती है। तीन-चार दिन में सामान्य रिपोर्ट आने पर डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

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