दुर्गाष्टमी पर मंदिरों में गूंजे माता के जयकारे

क्षेत्र के विभिन्न गांवों में दुर्गाष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने भारी श्रद्धा के साथ दुर्गा माता की अर्चना कर कंजक पूजन किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:00 AM (IST)
दुर्गाष्टमी पर मंदिरों में गूंजे माता के जयकारे
दुर्गाष्टमी पर मंदिरों में गूंजे माता के जयकारे

संवाद सूत्र, निसिग : क्षेत्र के विभिन्न गांवों में दुर्गाष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने भारी श्रद्धा के साथ दुर्गा माता की अर्चना कर कंजक पूजन किया। इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुंच माता के चरणों में माथा टेक आशीर्वाद लिया। सुबह चार बजे से ही मंदिरों में माता के दर्शन कर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गई थी। बाद दोपहर तक लोगों ने कतारों में खड़े रहकर मन्नतें मांगी। उसके बाद उपवास खोला। वहीं मंदिरों में कमेटी सदस्यों की ओर से विशाल हवन एवं भंडारों का आयोजन किया गया। जिनमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य का लाभ लिया। कस्बे के श्री सनातन धर्म शिव मंदिर प्रधान लाला रोशन लाल ने बताया कि मंदिर में हरवर्ष प्रथम नवरात्र से प्रारंभ कर 15 दिनों तक भंडारा चलाया जाता है। नवरात्र को लेकर मंदिर को खूब सजाया गया था। वहीं गांव गोंदर में महंत ओमगिरी जी महाराज ने मंदिर में ग्रामीणों सहित हवन में आहुतियां डाली। कंजक पूजन के बाद भोज करवाकर आशीर्वाद लिया गया। गांव औंगद स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर, डाचर स्थित नयना देवी मंदिर, जुंडला के माता बाला सुंदरी मंदिर, निसिग में मनसा देवी मंदिर व बरास में मनोकामना मंदिर के बाद मेले का आयोजन भी किया गया, जिसमें महिलाओं व बच्चों ने जमकर खरीददारी की। क्षेत्र के गांव गुनियाना, कुचपुरा, हथलाना, मंजूरा, कतलाहेडी, प्यौंत, सांभली व अमूपुर सहित अन्य गांवों में भी श्रद्धालुओं ने माता की अर्चना कर सुख-शांति की कामना की।

योग कक्षा फव्वारा पार्क में नवरात्र पर किया कंजक पूजन

जागरण संवाददाता, करनाल : योग कक्षा फव्वारा पार्क में माता रानी के नवरात्रों में दुर्गा अष्टमी के पावन दिवस पर कंजक पूजन किया गया। नवरात्र के समय में कन्या पूजन का विशेष महत्व है, इसलिए अष्टमी के दिन दिनेश गुलाटी द्वारा संचालित मेरा मिशन स्वस्थ भारत की योग कक्षा में भी महागौरी की पूजा की गई। छोटी बालिकाओं के रूप में मां की आराधना की गई। बालिका कनक, अर्शी, रक्षिता को चुनरी पहनाकर पूजन किया। जिसमें सभी शिक्षक व साधक मौजूद रहे। दिनेश गुलाटी ने बताया कि रीति-रिवाज, त्योहार सांस्कृतिक परंपरा को मजबूत बनाते हैं और यही हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है। इन त्योहारों से सदैव नई ऊर्जा प्राप्त होती है। योग द्वारा स्वास्थ्य तो हमारा उद्देश्य है ही। साथ ही आज के बदलते परिवेश में अपनी परंपरा और त्योहारों को एक साथ मनाना भी बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पहले शिक्षिका नीलम बटला, निधि गुप्ता ने साधकों को माता के भजनों के साथ पहले सूक्ष्म व्यायाम व विभिन्न आसन करवाए। डांडिया की धुन के साथ अभ्यास करवाते हुए सत्र की समाप्ति की। इस कक्षा में वामिका, हिमानी, शिल्पी, मधु ग्रोवर, वंदना, सविता व ऋतु मौजूद रहे।

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