मानसून के दूसरे चरण की अच्छी शुरुआत नहीं, कल से मौसम हो जाएगा साफ

मानसून के दूसरे चरण की शुरुआत ठभ्क नहीं हुई है। कल से मौसम साफ रह सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 07:03 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 07:03 AM (IST)
मानसून के दूसरे चरण की अच्छी शुरुआत नहीं, कल से मौसम हो जाएगा साफ
मानसून के दूसरे चरण की अच्छी शुरुआत नहीं, कल से मौसम हो जाएगा साफ

जागरण संवाददाता, करनाल: मानसून के दूसरे चरण यानि अगस्त से सितंबर माह तक मौसम विभाग ने 94 से 106 प्रतिशत बरसात की संभावना जताई है। वीरवार को बादल छाये तो हैं, लेकिन बरसात ना के बराबर ही हुई है। करनाल में हल्की बौछारे गिरी हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में वीरवार को बूंदाबांदी की संभावना जताई है। लेकिन इसके बाद मौसम साफ हो जाएगा। बरसात की कमी के साथ-साथ उमस और गर्मी झेलनी पड़ सकती है। मानसून के दूसरे चरण की शुरूआत धीमी हुई है। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है कि अगस्त व सितंबर माह में अनुमानित बरसात का आंकड़ा पूरा होगा। छह मई से मौसम साफ हो जाएगा। जिससे उसम बढ़ेगी। प्रदेश में अब एक से चार अगस्त तक 25.5 एमएम बरसात होनी चाहिए थी, लेकिन 19.0 एमएम ही हो पाई है। देश भर में बने मौसमी सिस्टम

कम दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश और आसपास के इलाकों पर बना हुआ है। इसका संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर तक फैला हुआ है। मानसून की टर्फ रेखा गंगानगर, नारनौल, उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश के ऊपर निम्न दबाव के क्षेत्र के केंद्र से गुजरती हुई, वाराणसी, गया, बांकुरा और फिर दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की उत्तरी खाड़ी की ओर जा रही है। बंगाल की के उत्तरी भागों के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में उत्तरी पाकिस्तान पर देखा जा सकता है। फिलहाल धान के खेत पानी से लबालब, ज्यादा बरसात से हो जाएगी दिक्कतें

सबसे ज्यादा पानी की जरूरत धान की फसल को होती है, लेकिन इस समय धान के खेत पानी से लबालब हैं। अकेले करनाल में करीब 12 हजार एकड़ फसल पानी में डूबी हुई है। जुलाई माह में हुई ताबड़तोड़ बरसात के कारण यह समस्या पैदा हुई है। मौसम में ठंड बराकार रखने के लिए बूंदाबांदी की जरूरत है, तेज बरसात फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। अगर तेज बरसात होती है तो फसल पानी में ओर डूब जाएगी, जिससे किसानों को नुकसान की संभावना है।

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