ना टेक्निकल स्टाफ ना प्रशिक्षित आपरेटर कैसे मिलेगा शुद्ध पानी
लोगों को शुद्ध पानी चाहिए। इस समय वाटर सप्लाई को लेकर जो स्थिति बन
जागरण संवाददाता, करनाल : लोगों को शुद्ध पानी चाहिए। इस समय वाटर सप्लाई को लेकर जो स्थिति बनी हुई है उसके अनुसार तो शुद्ध पेयजल की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जनस्वास्थ्य विभाग और ग्राम पंचायतों द्वारा की गई नियमों की अनदेखी। वर्ष 2014 में पंचायती राज संस्थाओं को जब जनस्वास्थ्य विभाग ने ट्यूबवेल हैंडओवर किए थे उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन ट्यूबवेलों पर टेक्निकल आपरेटर होना चाहिए। ट्यूवबेल को चलाने के लिए सभी संसाधन भी पूरे हों। लेकिन नियमों को दरकिनार कर ट्यूबवेलों को आपरेट करने लिए ऐसे आदमियों को रख लिया गया है जो नियमों के दायरे से बाहर हैं। ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर तो आपरेटर रख लिए, लेकिन इसके बाद जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इस ओर मुड़कर नहीं देखा। क्योंकि अधिकारियों की बहुत बड़ी टेंशन जो हल हो रही थी। वाटर सप्लाई से लेकर दवाई डालने व लीकेज ठीक करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को सौंप दी गई। लेकिन इसकी सुपरविजन विभाग ने नहीं की। विभाग के दावों ओर हकीकत का फर्क समझिये
दावा : वाटर सप्लाई के लिए टेक्निकल आपरेटर होने चाहिए। जिसकी योग्यता 10वीं पास इसके साथ आईटीआई का डिप्लोमा हो। या फिर 12वीं पास के साथ साइंस होनी चाहिए। गांव के व्यक्ति को प्राथमिकता देकर लगाया जाएगा। हकीकत : ग्राम पंचायतों ने अपने स्तर पर 10वीं पास आपरेटर भर्ती कर लिए। उनको पानी की गुणवत्ता के बारे में कोई जानकारी ही नहीं। पानी में हाइपो कलोरीन की मात्रा कितनी डालनी है और किस समय डालनी है। इसका परिणाम यह निकला लोग दूषित पानी पी रहे हैं। बीमारियां बढ़ रही हैं। विभाग ने सुपरविजन नहीं की।
दावा : ट्यूबवेल आपरेटर का वेतन 4654 रुपये उनके बैंक अकाउंट में डाला जाएगा।
हकीकत : ज्यादातर ग्राम पंचायतों में ऐसा नहीं है। वेतन भी पूरा नहीं दिया जा रहा है। पड़ताल की तो पता चला कि कई जगह महज 4000 हजार रुपये कैश ही दिए जा रहे हैं।
दावा : ट्यूबवेल आपरेटर 24 घंटे में तीन बार पानी की सप्लाई देगा, बेहतर वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी स्वयं की होगी।
हकीकत : आपरेटरों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी करने की बजाय जुगाड़ कर लिया। ट्यूबवेलों पर टाइमर लगा दिए गए। लाइट आते ही ट्यूबवेल चल जाते हैं और लाइट जाते ही बंद हो जाते हैं। रोजाना लाखों लीटर पानी की भी बर्बादी हो रही है। क्योंकि जितना पानी चाहिए उससे अधिक सप्लाई हो रहा है।
90 फीसदी गांव की दूषित पानी की समस्या आज तक नही हुई हल
जिले के 350 से अधिक ग्राम पंचायतों को वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जब से ट्यूबवेलों को हैंडओवर किया गया है तब से लेकर अब तक स्थिति ओर भी खराब हो गई। क्योंकि जनस्वास्थ्य विभाग के ट्यूबवेल भगवान भरोसे चल रहे हैं। 90 फीसदी गांवों में दूषित पेयजल की समस्या आज भी जस की तस है। पानी सप्लाई की जिम्मेदारी जनस्वास्थ्य विभाग की है। लेकिन ग्राम पंचायतों को ट्यूबवेल हैंडओवर करने की
बात कहकर विभाग के अधिकारी भी अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं।
जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलेभर में पानी सप्लाई का जिम्मा ग्राम पंचायत को देने के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। गांवों में दूषित पानी सप्लाई हो रहा है, विभाग मौन है। अधिकारी कहते हैं संबंधित ग्राम पंचायत जिम्मेदार है। अब हालात यह हैं कि ना तो समय पर पानी की सप्लाई हो रही है और ना ही लीकेज ठीक कराई जाती है। लोग दूषित पानी पीते हैं और बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
जनस्वास्थ्य विभाग के एसई शिवराज सिंह ने कहा कि जो लोगों के कनेक्शन नालियों के बीच से जा रहे हैं, उसकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं, उनको बदलाव के लिए कहा गया है। उपभोक्ताओं को भी ध्यान रखना जरूरी है।