वैज्ञानिकों ने बताया-कैसे करें भौगोलिक सूचना प्रणाली से डाटा प्रबंधन
जी-गवर्नेंस में किसी भी स्थान से संबंधित डाटा को भौगोलिक सूचना प्रणाली यानि जीआइएस से कैसे प्रयोग में लिया जा सकता है इसे लेकर बुधवार को लघु सचिवालय के सभागार में प्रस्तुति दी गई। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के हिसार परिसर स्थित हरसैक के वैज्ञानिक डा. केई मोथी कुमार इसमें विशेष रूप से आमंत्रित थे।
करनाल (विज्ञप्ति) : जी-गवर्नेंस में किसी भी स्थान से संबंधित डाटा को भौगोलिक सूचना प्रणाली यानि जीआइएस से कैसे प्रयोग में लिया जा सकता है, इसे लेकर बुधवार को लघु सचिवालय के सभागार में प्रस्तुति दी गई। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के हिसार परिसर स्थित हरसैक के वैज्ञानिक डा. केई मोथी कुमार इसमें विशेष रूप से आमंत्रित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने की जबकि अतिरिक्त उपायुक्त योगेश कुमार, नगराधीश अभय सिंह जांगड़ा के अलावा जिले के विभिन्न 28 विभागों के प्रभारी व प्रतिनिधि शामिल हुए।
प्रस्तुति से पहले डा. केई मोथी कुमार ने बताया कि प्रदेश के नागरिक संसाधन सूचना विभाग के तहत हरसैक यानि हरियाणा स्पेसएप्लीकेशन सेंटर काम करता है। वर्तमान में सभी जिलों में इसके भौगोलिक सूचना प्रणाली सेंटर स्थापित हो चुके हैं। भौगोलिक सूचना प्रणाली सभी प्रकार के डाटा का निर्माण, प्रबंधन, मैपिग करती है। इस प्रणाली से डाटा को मानचित्र से जोड़ा जाता है। उन्होंने बताया कि यह किसी भी स्थान से संबंधित डाटा को सभी प्रकार की वर्णात्मक जानकारी के साथ एकीकृत करता है। यह रिमोट सेंसिग यानि सुदूर संवेदन के जरिए मानचित्रण के लिए आधार प्रदान करता है। इसका उपयोग विज्ञान, उद्योग और लगभग सभी विभागों में किया जाता है। शहर में करीब 160 पार्कों की मैपिग भी की गई है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर ऊर्जा की आवश्यकता थी और मांग पर भी काम किया जा रहा है।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि सभी अधिकारी अपने विभागों की जरूरतों की जीआइएस लैब में डाटा के साथ मैपिग करवाएं। इससे उनका काम आसान होगा, मैनपावर और समय की बचत होगी। उपायुक्त ने बताया कि जिले में काफी समय से पराली जलाने की घटनाएं होती रही हैं। इनका इस सिस्टम की मदद से पता लगाया जा रहा है और उन पर अंकुश लगाने में मदद मिली है।