चंद्राव गांव में सुविधाएं न होने से नारकीय जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण

चंद्राव गांव में पहुंचते ही स्वच्छता दम तोड़ती नजर आ रही है। गांव में न तो पानी की निकासी की व्यवस्था दुरुस्त है और न ही गांव की गलियां पक्की और स्वच्छ हैं। यहां अधिकतर सड़कें कीचड़ से अटी पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 02:26 AM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 02:26 AM (IST)
चंद्राव गांव में सुविधाएं न होने से नारकीय जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण
चंद्राव गांव में सुविधाएं न होने से नारकीय जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण

संवाद सूत्र, गढ़ी बीरबल : चंद्राव गांव में पहुंचते ही स्वच्छता दम तोड़ती नजर आ रही है। गांव में न तो पानी की निकासी की व्यवस्था दुरुस्त है और न ही गांव की गलियां पक्की और स्वच्छ हैं। यहां अधिकतर सड़कें कीचड़ से अटी पड़ी है। गांव की मुख्य पुलिया टूटने की कगार पर है। गांव की फिरनी भी विकास का इंतजार कर रही है। गांव में सुविधाओं का अभाव होने से ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ रोष है।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आने वाली मुख्य सड़क पुल से होकर आती है। कुछ दिन पहले ही पुल पर रे¨लग लगवाई गई थी, जो टूटने लगी है। गांव में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था न होने से रात होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है। चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गई है।

विशेषताएं

गांव की कुल आबादी तीन हजार के करीब है। यमुना नदी किनारे बसे होने के कारण अधिकतर लोग खेती करते है, जिसमें ज्यादातर छोटे किसान है। इसके अलावा गांव में शराब फैक्ट्री होने के कारण बहुत से लोग मजदूरी भी करते हैं। गांव में एक शिव मंदिर, दो गुरुद्वारे और प्राथमिक स्कूल भी है। गांव की साक्षरता दर भी 50 फीसद के करीब है। करनाल-यमुनानगर रोड पर बसे होने के कारण लोगों की आसानी से बस सुविधा उपलब्ध है।

इतिहास

गांव का इतिहास करीब सात सौ साल पुराना है। गांव में उस समय की ईदगाह आज भी मौजूद है, जिसमें ईद के दिन दूर-दराज के क्षेत्रों से मुसलमान नमाज अता करने पहुंचते है। आजादी से पहले इस गांव में मुसलमान रहते थे, लेकिन अब सभी समुदाय के लोग यहां निवास करते हैं। चंदू नामक व्यक्ति के नाम से इस गांव का नाम चंद्राव पड़ा। यमुना किनारे बसे होने के बावजूद आज तक यहां कभी बाढ़ नहीं है।

सुझाव।

- गांव में पानी निकासी की व्यवस्था दुरुस्त की जाए।

- गांव में बढ़ती वारदात को देखते हुए स्ट्रीट लाइटें लगाई जाए।

- गांव में खेल मैदान और डिस्पेंसरी बनवाई जाए।

- सरकार जिस काम के लिए अनुदान देती है उसका निरीक्षण भी होना चाहिए।

कीचड़ से अटी गांव की गलियां

गांव की अधिकतर गलियां कच्ची होने के कारण सारा दिन गालियों में कीचड़ जमा रहता है। इससे राहगीरों सहित ग्रामीणों को भी आवाजाही में परेशानी झेलनी पड़ रही है। गांव की नालियां टूटी होने के कारण निकासी व्यवस्था ठप है। दुर्गध के कारण ग्रामीणों का हाल-बेहाल है। संबंधित लोगों को मामले की सुध लेनी चाहिए। ¨प्रस गुप्ता, ग्रामीण।

सरपंच नहीं करता सुनवाई

नालियों का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में बह रहा है। इसके कारण कीचड़ की स्थिति बनी रहती है। कई बार बाइक सवार गिरकर चोटिल हो चुके है, लेकिन सरपंच किसी की सुनने को तैयार नहीं है। पानी निकासी की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए।

साहब ¨सह, ग्रामीण।

गलियों में छाया अंधेरा

गांव में जो स्ट्रीट लाइटें लगाई गई है। देखरेख के अभाव में खराब पड़ी है। यही कारण है कि शाम होते ही गलियों में अंधेरा छा जाता है।वहीं स्ट्रीट लाइटें लगाने में भी सरपंच ने ग्रामीणों के साथ भेदभाव किया है। गांव में बढ़ती चोरी की वारदात को देखते हुए सभी गलियों में स्ट्रीट लाइटें लगनी चाहिए।

वजीर ¨सह, ग्रामीण।

गंदगी से फैली बदबू

गलियों की साफ-सफाई न होने के कारण गांव में बदबू और नालियां बंद पड़ी है। इसके कारण गांव में मच्छरों की भरमार है। रोजाना ग्रामीण बीमारियों की चपेट में आ रहे है। साफ-सफाई की मांग को लेकर कई बार सरपंच से गुहार लगा चुके है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

सुखबीर ¨सह, ग्रामीण।

चिकित्सा की सुविधा नहीं

गांव में कोई डिस्पेंसरी न होने के कारण ग्रामीणों को प्राथमिक ईलाज के लिए करनाल दौड़ना पड़ता है, जो सभी ग्रामीणों के लिए आसान नहीं है। चिकित्सा की बेहतर सुविधा देने के नाम पर सरकार वाहवाही तो लूट लेती है, लेकिन जब सुविधा देने की बारी आती है तो संबंधित अधिकारी पल्ला झाड़ लेते है।

जाती राम, ग्रामीण।

खेलकूद मैदान नहीं

खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार युवाओं को प्रोत्साहित तो कर रही है, लेकिन युवाओं को कोई सुविधा नहीं दे रही। यहीं कारण है कि गांव में युवाओं के लिए कोई खेल मैदान नहीं है। जिला मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण गांव काफी पिछड़ा हुआ है।

विनोद कुमार।

पंचायत के पास नहीं पैसे

गांव में साफ-सफाई के लिए कर्मचारी लगा हुआ है। जितनी स्ट्रीट लाइट आई थीं, सबको लगा दिया गया है, जो खराब है उनकी मरम्मत के लिए संबंधित अधिकारियों को बोल दिया गया है। फिलहाल पंचायत के पास पैसे नहीं हैं। पैसे आते ही सभी गलियों को ठीक करा दिया जाएगा।

चंद्राव बाबू राम, सरपंच।

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