बस रहीं अवैध कालोनियां, सरकार को करोड़ों की चपत
अश्विनी शर्मा करनाल अवैध कालोनियों के मक्कड़ जाल में सबसे ज्यादा नुकसान सरकार को उठाना प
अश्विनी शर्मा, करनाल: अवैध कालोनियों के मक्कड़ जाल में सबसे ज्यादा नुकसान सरकार को उठाना पड़ता है। क्योंकि इस तरह की कालोनियों के विकास की वजह से सरकार को इंटरनल और एक्स्ट्रनल डेवलपमेंट चार्ज (ईडीसी-आइडीसी) नहीं मिलता। जबकि वैध कालोनी में प्रति गज के हिसाब से ईडीसी-आइडीसी 2671 रुपये प्रति गज के हिसाब से सरकार के पास जाता है। यह चार्ज नहीं देकर भूमाफिया गरीब को सस्ते मकान का लालच देते हैं, लेकिन जब जेसीबी उनके निर्माण को ढहाने आती है तो वे ठगे जाते हैं। यह चार्ज जमा हुए बिना बिजली कनेक्शन भी जारी कर दिया जाता है।
सरकार से कालोनी विकसित करने के लिए कंपनियां लाइसेंस लेती हैं। इसमें ईडीसी-आइडीसी चार्ज देने का प्रावधान मुख्य तौर पर शामिल होता है। यह चार्ज देने पर ही कंपनियां आवासीय भूखंड विकसित करती हैं। लेकिन अवैध कालोनी काटते वाले भू-माफिया सरकार के इस नियम के दायरे में नहीं आते। वह सीधे जमींदार से कुछ एकड़ जमीन खरीदकर कालोनी बनाना शुरू कर देते हैं। करनाल के लिहाज से देखें तो यहां करीब डेढ़ करोड़ रुपये में प्रति एकड़ जमीन खरीदी जाती है। इसमें 15 प्रतिशत जमीन गलियों के लिए निकाली जाती है। इसके बाद नक्शा बनाकर प्लाटों का साइज तय होता है। फिर रिश्वत सहित अन्य खर्चे मिलाकर भूमाफिया प्लाट का रेट प्रति गज के हिसाब से तय करता है। इस पूरी प्रक्रिया में ईडीसी-आइडीसी बच जाती है। यही वजह है कि भूमाफिया गरीबों को सस्ते प्लाट देने का लाचल देते हैं। आइडीसी-ईडीसी नहीं देकर देते सस्ते प्लाट का लाच
जमीन से संबंधित मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरजीत मंढाण का कहना है कि अवैध कालोनी में प्लाट बिकने शुरू होने से पहले ही पूरी प्लानिग तैयार हो जाती है। तहसील, नगर निगम, डीटीपी और बिजली निगम के कर्मचारियों को भूमाफिया पहले ही साध लेते हैं। यही एक वजह है कि अवैध कालोनी में बिजली कनेक्शन भी जारी हो जाते हैं। जबकि ईडीसी-आईडीसी जमा हुए बिना आवासीय भूखंड विकसित नहीं किया जा सकता। लेकिन शहर में ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। बिजली कनेक्शन अप्लाई होने पर देते निगम को नोटिस: धर्म सुहाग
बिजली निगम के सिटी एक्सइएन धर्म सुहाग का कहना है कि बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन आने के बाद कनेक्शन जारी करने से पहले नगर निगम को नोटिस दिया जाता है। इसमें बताया जाता है कि इस जगह पर कनेक्शन के लिए आवेदन आया है। यदि जगह अवैध है तो निर्माण हटा लिया जाए। इस प्रक्रिया के 13 दिन बाद बिजली कनेक्शन जारी करने की कार्यवाही शुरू की जाती है। इसके बाद भी निगम अवैध कालोनी से कनेक्शन हटाने के लिए कहता है तो इस दिशा में भी कार्यवाही की जाती है।