इतिहास संजोए है गांव सौंकड़ा का 300 साल पुराना शिव मंदिर

ऐतिहासिक नगरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर गांव सौंकड़ा का 300 साल पुराना शिव मंदिर अपने अंदर काफी इतिहास संजोए हुए है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 07:50 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 07:50 AM (IST)
इतिहास संजोए है गांव सौंकड़ा का 300 साल पुराना शिव मंदिर
इतिहास संजोए है गांव सौंकड़ा का 300 साल पुराना शिव मंदिर

फोटो 46, 47, 48 000 महाभारत कॉलीन डूंडीराज तीर्थ का नाम से श्रद्धालुओं में आस्था

000 शिव मंदिर व तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए हुआ सुधार समिति का गठन रोहित लामसर, तरावड़ी

ऐतिहासिक नगरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर गांव सौंकड़ा का 300 साल पुराना शिव मंदिर अपने अंदर काफी इतिहास संजोए हुए है। 80 वर्षीय सोमप्रकाश गोयल के अनुसार इस मंदिर में आज महाभारत कालीन डूंडीराज तीर्थ मौजूद है, जो पुराने समय की कई धार्मिक आस्था और यादें भी समेटे हुए हैं। मौजूदा समय में पुरातत्व विभाग में भी इस तीर्थ का जिक्र आता है। पुराने समय में महंत भी यहां पर रहते थे। मंदिर के पुराने इतिहास से जुड़ी धार्मिक यादों को लेकर आज भी गांव में भाईचारे का माहौल कायम है। एक एकड़ से ज्यादा जमीन में मौजूद गांव सौंकड़ा के इस शिव मंदिर और महाभारत कालीन डूंडीराज तीर्थ में श्रद्धालु अपनी कामनाएं लेकर पहुंचते हैं।

मोक्ष प्राप्ति के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु

तीर्थ के जीर्णाेद्धार के लिए शिव मंदिर सुधार समिति सौंकड़ा का गठन किया गया। समिति में अध्यक्ष ईश्वर चंद त्यागी, उपाध्यक्ष जयपाल शर्मा, मनोज शर्मा उर्फ लाडी सचिव, मीडिया प्रभारी नवीन गोयल, कोषाध्यक्ष राजू एलआइसी, सह-सचिव प्रीतम पाल, सदस्य सुरेश शर्मा, गुरनाम पाल, महेंद्र धीमान, महेंद्र त्यागी, जयकुमार प्रजापत, रामकुमार शर्मा, जयपाल त्यागी, रिकू त्यागी, अनिल सिगला शामिल हैं। समिति अध्यक्ष ईश्वर चंद त्यागी ने बताया कि गांव सौंकड़ा का शिव मंदिर काफी पुराना है। जहां पर श्रद्धालु अपने पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए भी पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। पुराने समय में श्राद्ध और पिडदान भी इस तीर्थ में करवाए जाते थे। तीर्थ का निर्माण कार्य स्वर्गीय बाबा धर्मपाल पुरी की देखरेख में शुरू किया गया था। इस समय महंत राजू पूरी गद्दीनशीन हैं।

मंदिर का इतिहास दर्शाएगा गौरव पट्ट

समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि गांव के शिव मंदिर को भव्य रूप देने के लिए निर्माण कार्य जारी है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, जो बुद्धिजिवी भलि-भांति जानते हैं। लेकिन आने वाली युवा पीढ़ी व अन्य श्रद्धालुओं को मंदिर के इतिहास से रूबरू करवाने के लिए यहां पर एक गौरव पट्ट भी लगाया जाएगा, ताकि लोग पढ़कर मंदिर के इतिहास के बारे में जान सकें। यहां पर हर वर्ष जनमाष्टमी पर्व, शिवरात्रि पर्व, चौदस के साथ-साथ त्यौहारों पर भव्य आयोजन करवाए जाते हैं। कोरोना संक्रमण की महामारी के बाद जैसे ही माहौल ठीक होगा, शिव मंदिर के सुधार के साथ-साथ आयोजनों भी पूर्ण रूप से शुरू होंगे।

गणेशकूंडी के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर

शिव मंदिर सुधार समिति सौंकड़ा के मीडिया प्रभारी नवीन गोयल ने बताया कि गांव सौंकड़ा में इतना बड़ा और ऐतिहासिक तीर्थ होना अपने आप में अहम बात है, क्योंकि 300 साल पुराना यह शिव मंदिर ओर तीर्थ कई धार्मिक भावनाएं समेटे हुए हैं। इस मंदिर ओर तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए श्रद्धालुओं और समाजसेवी लोगों को आगे आने की जरूरत है। नवीन गोयल ने बताया कि शिव मंदिर सुधार समिति सौंकड़ा द्वारा इस मंदिर को एक भव्य रूप दिया जाएगा, जिसके लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। भगवान शिव जी ने यह वरदान दिया था कि यह तीर्थ डूंडीराज तीर्थ के नाम से जाना जाएगा, जो भी श्रद्धालु इसमें स्नान करेगा उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और रोग भी दूर होंगे।

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