18 वर्ष में लेफ्टिनेंट बना अक्षित, सच हुआ देश सेवा का सपना
दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते हर कठिन से कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस कसौटी पर खुद को खरा साबित करके दिखाया है सालवन गांव के अक्षित राणा ने। महज 18 वर्ष की आयु में अक्षित ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से ट्रेनिग पूरी करके लेफ्टिनेंट बनने का अपना सपना सच किया।
जसबीर राणा, असंध: दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते हर कठिन से कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस कसौटी पर खुद को खरा साबित करके दिखाया है सालवन गांव के अक्षित राणा ने। महज 18 वर्ष की आयु में अक्षित ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से ट्रेनिग पूरी करके लेफ्टिनेंट बनने का अपना सपना सच किया।
अक्षित बचपन से सैन्य अधिकारी बनने का सपना देखता आया था। पहली कोशिश में एनडीए की परीक्षा पास करके अक्षित ने देश की सेवा करने का फैसला लिया और आखिरकार सेना में लेफ्टिनेंट बनकर माता-पिता के सपने को साकार कर दिखाया। नेशनल डिफेंस अकादमी से परीक्षा पास करने के बाद आइएमए देहरादून से ट्रेनिग पूरी करने के बाद गांव पहुंचे अक्षित राणा का जोरदार स्वागत किया गया।
अक्षित ने बताया कि उनके पिता और दादा ने नेवी में रहते हुए देश की सेवा की थी। इसी से उसे भी प्रेरणा मिली कि देश की सेवा करने से बढ़कर कुछ नहीं। अक्षित को इंजीनियर बनने के बजाय सैन्य अधिकारी बनकर तिरंगा संभालना अच्छा लगा और वह दिन रात मेहनत करने में लग गया। अक्षित ने दिल्ली रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की। बकौल अक्षित, लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन्होंने रात दो बजे तक पढ़ाई की। माता-पिता व दादा-दादी को आदर्श मानने वाले अक्षित ने बताया कि उन्होंने भरपूर मार्गदर्शन किया। आज वह जिस मुकाम पर है, उसका श्रेय उन्हें ही है। अक्षित ने युवाओं से अपील की कि नशे से दूर रहें और किसी चुनौती से न घबराएं।
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कई जांबाज दे चुका सालवन
अक्षित की सफलता से उत्साहित स्वजनों का मानना है कि बच्चों को ज्यादा दबाव में नहीं रखना चाहिए बल्कि उनकी इच्छा के अनुसार प्रेरित करते रहना चाहिए। इससे उनका हुनर निखरता है और एक दिन बच्चा अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता है। पूर्व सैनिक सुभाष राणा ने बताया कि गांव से सेना में एक लेफ्टिनेंट जनरल, दो मेजर जनरल, एक ग्रुप कैप्टन, दो मेजर, एक लेफ्टिनेंट व एक कैप्टन रह चुके हैं। गांव का पुराने समय से ही सेना से नाता रहा है। देश सेवा करने को लेकर युवा काफी मेहनत करते हैं।