चार कैप्सूल करेंगे एक एकड़ में फसल अवशेषों का खात्मा, फसल होगी अच्छी
पूसा डीकंपोजर के चार कैप्सूल न सिर्फ फसल अवशेषों को नष्ट करेंगे बल्कि नष्ट हुए फाने जमीन में मिलकर खाद का काम भी करेंगे। चार कैप्सूलों से तैयार होने वाला लिक्विड एक एकड़ के फानों को गलाएगा और इसके बाद किसान अपनी जमीन को तैयार कर आगामी फसल की बुआई कर सकता है।
संवाद सहयोगी, घरौंडा : पूसा डीकंपोजर के चार कैप्सूल न सिर्फ फसल अवशेषों को नष्ट करेंगे, बल्कि नष्ट हुए फाने जमीन में मिलकर खाद का काम भी करेंगे। चार कैप्सूलों से तैयार होने वाला लिक्विड एक एकड़ के फानों को गलाएगा और इसके बाद किसान अपनी जमीन को तैयार कर आगामी फसल की बुआई कर सकता है। डिकंपोजर कैप्सूलों को किसानों में निश्शुल्क वितरित किया जाएगा। करीब दो हजार एकड़ के फसल अवशेषों के लिए कैप्सूल खंड कृषि कार्यालय में पहुंच चुके हैं, जहां से किसान उन्हें निशुल्क प्राप्त कर सकते है। कृषि अधिकारियों की मानें तो कृषि अवशेष को खाद में बदलने की पूसा अनुसंधान द्वारा यह नई तकनीक तैयार की गई है, जो अवशेषों को गलाकर खाद में बदलने का काम करेगी।
कृषि अधिकारियों के मुताबिक, पूसा डीकंपोजर कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित एक ऐसी दवा है। जिससे फसलों के अवशेष या पराली को गलाकर खाद बना दिया जाता है। डीकंपोजर के चार कैप्सूल, थोड़ी सी गुड़ और थोड़ा सा बेसन मिलाकर 10 लीटर घोल तैयार होगा। इसे 200 लीटर पानी में मिलाना है और एक एकड़ के फसल अवशेषों पर स्प्रे करना है। स्प्रे करने के दिन या फिर अगले दिन फसल अवशेषों पर रोटावेटर चलाए और हल्का पानी दें। इसके बाद पांच से सात दिन में खेत अगली बुआई के लिए तैयार होगा। हालांकि की लिक्विड तैयार करने में थोड़ा समय जरूर लगता है लेकिन यह किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
जमीन की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है
कृषि अधिकारी डा. राहुल दहिया ने बताया कि धान के बाद अगली फसल लेने के लिए किसान अपने खेतों में फसल अवशेषों को आग की भेंट चढ़ा देते है। इससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कमजोर हो जाती है। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पूसा डीकंपोजर बायो एंजाइम का रास्ता निकाला है, जो धान के अवशेषों को पराली को गला सकता है। डा. दहिया ने बताया कि अवशेषों को जलाने की नहीं गलाने की जरूरत है, जिससे बहुत अच्छी खाद मिलेगी। पराली को जलाने से किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है और आर्गेनिक कार्बन कट रहा है लेकिन यदि हम पराली को खेत में ही मिला देते हैं तो जमीन का आर्गेनिक कार्बन बढ़ेगा और अगली फसल भी बहुत अच्छी होगी।