धान नहीं लगाने वाले किसानों को मिलेंगे दो हजार प्रति एकड़

सरकार ने धान के बजाय परंपरागत फसलों को बढ़ावा देने के योजना शुरू की है। धान नहीं लगाने वालों को दो हजार रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 07:20 AM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 07:20 AM (IST)
धान नहीं लगाने वाले किसानों को मिलेंगे दो हजार प्रति एकड़
धान नहीं लगाने वाले किसानों को मिलेंगे दो हजार प्रति एकड़

जागरण संवाददाता, करनाल : लगातार गहराते भूजल स्तर को चितित सरकार ने धान की रोपाई न करने वाले किसानों को दो हजार रुपये प्रति एकड़ देने का फैसला किया है। नई योजना के मुताबिक असंध क्षेत्र में कृषि विभाग पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेगा। इस एरिया में करीब 12 हजार हैक्टेयर में धान की रोपाई को रोकना कृषि विभाग के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। बुधवार को चंडीगढ़ मुख्यालय में भी उप कृषि निदेशकों की बैठक में निर्देश जारी हुए हैं कि जहां-जहां पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम शुरू होना वह कमर कस लें। किसान के पास जाएं और योजना के फायदे बताएं। पानी का महत्व भी बताएं। इस क्षेत्र को पहले से डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। पहले साठी धान पर बैन किया गया था, अब धान के बजाय वैकल्पिक फसलों पर जोर दिया जा रहा है।

27 मई से 10 जून तक पोर्टल पर कर सकते आवेदन

धान की रोपाई ना करने वाले किसान नई योजना के मुताबिक 27 मई से 10 जून तक कृषि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन एंट्री कर सकते हैं। पोर्टल पर एंट्री करते ही किसान के खाते में 200 रुपये आ जाएंगे। बाकी 1800 रुपये कृषि विभाग की टीम की वेरिफिकेशन के बाद आएंगे। वैकल्पिक फसल मक्का और अरहर के दाने-दाने की खरीद की गारंटी

कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जो किसान धान को छोड़कर वैकल्पिक फसलों मक्का व अरहर की बुआई करेगा उसके दाने-दाने की खरीद की जाएगी। यह फसलें एमएसपी पर खरीदी जाएंगी। सरसों की फसल की तरह इन फसलों की खरीद के लिए भी मंडियों को चिन्हित किया जाएगा। फसल उठान के वक्त फसल को बेचने की व्यवस्था सरकार करेगी। अब तो जागिये..धान की जिद छोड़िये, पीढि़यों के लिए पानी बचाइए

कृषि विभाग की यह योजना किसानों को कितनी भाएगी यह तो समय बताएगा, बरहाल धान की रोपाई ना करने वाले किसानों को जो प्रोत्साहन देने का जो फैसला हुआ है उसके गहरे मायने हैं। एक किलोग्राम धान पैदा करने में पांच हजार लीटर पानी खर्च हो जाता है। लेकिन फिर भी किसान धान के पीछे पड़े हैं। किसानों को जिद छोड़कर जागरूक होना होगा। आने वाली पीढि़यों के लिए पानी बचाना होगा। नहीं बदले तो हाल बुरे होंगे। जल संकट गहराएगा। जिले में अलग-अलग जगहों पर भू-जल की स्थिति

क्षेत्र का नाम भू-जल की स्थिति

असंध 26.61 मीटर

करनाल 25.00 मीटर

इंद्री 18.66 मीटर

नीलोखेड़ी 26.40 मीटर

निसिग 23.00 मीटर

घरौंडा 22.56 मीटर फोटो---02 नंबर है।

करनाल जिले में असंध क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट पर काम होगा। इस एरिया में सबसे ज्यादा पानी धान के सीजन में निकाला जाता है। सरकार ने धान ना लगाने वाले किसानों को दो हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। आज चंडीगढ़ में हुई बैठक में पायलट प्रोजेक्ट पर कैसे काम होना है उसका खाका तैयार हुआ है। धान को छोड़कर किसान वैकल्पिक तौर पर मक्का व अरहर लगा सकते हैं। दाने-दाने की खरीद होगी। धान के चक्र में पड़कर हम आने वाली पीढि़यों से उनके हक को छीन रहे हैं। पानी बहुत कीमती है उसे ऐसे बर्बाद ना करें।

डॉ. आदित्य प्रताप डबास, उप कृषि निदेशक करनाल।

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