करनाल कूच करने को लेकर किसानों और प्रशासन में तनातनी, नोक-झोंक

शनिवार सुबह करनाल पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यक्रम का विरोध करने के लिए किसान लामबंद हो गए। ऐसे में स्थिति काबू करने के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। इस दौरान देर तक तनातनी की स्थिति बनी रही। बाद में किसानों ने करनाल जाकर सीएम का पुतला व कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकीं। हालांकि किसानों के इस विरोध के बावजूद पुलिस प्रशासन की सख्त घेराबंदी के चलते सीएम का कार्यक्रम प्रभावित नहीं हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 06:53 AM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 06:53 AM (IST)
करनाल कूच करने को लेकर किसानों और प्रशासन में तनातनी, नोक-झोंक
करनाल कूच करने को लेकर किसानों और प्रशासन में तनातनी, नोक-झोंक

संवाद सहयोगी, घरौंडा: शनिवार सुबह करनाल पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यक्रम का विरोध करने के लिए किसान लामबंद हो गए। ऐसे में स्थिति काबू करने के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। इस दौरान देर तक तनातनी की स्थिति बनी रही। बाद में किसानों ने करनाल जाकर सीएम का पुतला व कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकीं। हालांकि, किसानों के इस विरोध के बावजूद पुलिस प्रशासन की सख्त घेराबंदी के चलते सीएम का कार्यक्रम प्रभावित नहीं हुआ।

बसताड टोल पहुंचे इंद्री के एसडीएम सुमित सिहाग, डीएसपी रोहतास, विजय देशवाल ने किसानों को करनाल न जाने के लिए किसानों से बातचीत की। लेकिन किसानों ने प्रशासन की बात स्वीकार नहीं की और करनाल पहुंच कर विरोध जताया। किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। बता दें कि सीएम के करनाल आने की सूचना पर किसान शनिवार सुबह सात बजे ही टोल पर एकत्रित होने शुरू हो गए थे। प्रशासन ने भी बसताड़ा टोल पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था।

प्रशासन ने किसानों को बसताड़ा टोल पर ही विरोध दर्ज करने की बात कही, लेकिन किसानों ने दो टूक कहा कि सीएम का पुतला करनाल में कार्यक्रम स्थल पर ही फूकेंगे। लगभग आधा घंटा किसानों व प्रशासन के बीच नोकझोंक होती रही लेकिन किसानअडिग रहे। काफी जद्दोजहद के बाद किसानों ने करनाल की ओर कूच कर दिया। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अजय राणा ने कहा कि तीन कृषि कानून लागू हुए एक साल हो गया है। उसी दिन से किसान विरोध कर रहे हैं। सरकार किसानों के साथ न तो बातचीत कर रही है और न ही तीन कृषि कानूनों का वापस ले रही है। सरकार किसान विरोधी फैसले ले रही है, जो सरासर गलत है।

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