करोड़ों खर्च कर बना फेसिलिटी सेंटर, कोई लाभ नहीं

जागरण संवाददाता करनाल कर्ण स्टेडियम में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद खिलाड़ियों क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 05:04 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 05:04 AM (IST)
करोड़ों खर्च कर बना फेसिलिटी सेंटर, कोई लाभ नहीं
करोड़ों खर्च कर बना फेसिलिटी सेंटर, कोई लाभ नहीं

जागरण संवाददाता, करनाल: कर्ण स्टेडियम में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद खिलाड़ियों को सुविधाओं के नाम पर बरगलाया जा रहा है। इससे ये खिलाड़ी तमाम प्रयासों के बावजूद राज्यस्तरीय मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे।

छह माह पहले मुख्यमंत्री ने लगभग ढाई करोड़ रुपये बने फेसिलिटी सेंटर का उद्घाटन किया था, लेकिन अभी तक खिलाड़ियों को इसका लाभ नहीं मिला। यही नहीं, जगह खाली होने के कारण अधिकारियों ने यहां नेहरू केंद्र के कर्मचारी बैठा दिए हैं जबकि खिलाड़ी सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हैं। खिलाड़ियों के समर्थन में ज्ञापन जारी करने वाले अधिकारी भी इस बात से अंजान बनकर बैठकों तक सीमित होकर रह गए हैं। क्या मिला निर्माण से?

निर्माण के दौरान सुविधाओं की बात करें तो ग्रांउड फ्लोर पर फेसिलिटी सेंटर के अंदर ग्राउंड फ्लोर पर खिलाड़ियों को इनडोर खेल के लिए प्रेक्टिस हॉल मिलना था। खिलाड़ियों को चेंजिग रूम, दिव्यांग खिलाड़ियों को अलग से सुविधा, शौचालय, जिम की सुविधा उपलब्ध करवाई जानी थी। खिलाड़ियों के लिए न्यूट्रीशन खाने-पीने के लिए विडो स्थापित की जानी थी। प्रथम तल पर स्टेनो, स्टोर ऑफिस, ओपन टेरिस, अधिकारी कार्यालय बनाया गया। द्वितीय तल पर चार कमरे बनाए जाएंगे जहां पर स्टाफ कार्य करेगा, इसके साथ ही अलग से ऑफिस रूम बनेगा। फिलहाल खेल अधिकारियों को संज्ञान लेना होगा कि उक्त सुविधाओं में से एक भी सुविधा का लाभ खिलाड़ियों को सात माह बाद भी नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री की घोषणा पर गंभीर नहीं अधिकारी

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के होम सिटी स्थित कर्ण स्टेडियम में फेसिलिटी सेंटर का निर्माण की घोषणा कर वाहवाही बटौरी गई थी। सरकार के प्रयास से लगभग सात करोड़ रुपये का सिथेटिक ट्रैक का निर्माण कर करनाल में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों के लिए मैदान तैयार किया किया। लेकिन कुछ अधिकारियों की ढीली कार्यप्रणाली के कारण खिलाड़ी अपने अभ्यास के लिए भी भटकने को मजबूर हैं। निर्माण के शुरुआत से ही विवाद

फेसिलिटी सेंटर का निर्माण शुरु से ही विवादों में रहा। जानकारी के अनुसार 18 मई 2017 को इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाना था और 17 मई 2018 इसे ठेकेदार ने पूरा करना था। पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार द्वारा अब 31 दिसंबर तक काम पूरा होने की बात कही गई है, जबकि इसका उद्घाटन पिछले जुलाई-2020 को किया गया। निर्माण के शुरुआत में क्रिकेट पिच और पेड़ों की कटाई को लेकर काम शुरू करने में देरी हुई। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की मॉनटरिग भी खानापूर्ति तक सीमित रही। इसके अलावा, स्टेडियम में हॉकी खिलाड़ियों एस्ट्रोटर्फ की बजाए ग्रास रूट पर अभ्यास करना पड़ रहा है। राज्य स्तरीय मुकाबलों में करनाल का प्रदर्शन कमजोर

वरिष्ठ एथलीट राममेहर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने करोड़ों रुपये का ढांचा तो खड़ा कर दिया लेकिन व्यवस्था बनाने में गंभीरता नहीं दिखाई। जिला अधिकारी भी केवल बैठकों तक सीमित हैं। इसका प्रमाण बीते शनिवार और रविवार को मिला जब 34वीं जूनियर एथलीट चैंपियनशिप में प्रदेश भर से एक हजार से अधिक खिलाड़ी मैदान में उतरे। लेकिन स्टेडियम के प्रशिक्षकों की लचर कार्यप्रणाली के कारण उक्त चैंपियनशिप में करनाल के खिलाड़ी कहीं टिक नहीं पाए। जिला खेल अधिकारी दिलबाग सिंह ने बताया कि इस संदर्भ में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सेंटर में उपलब्ध सुविधाओं के लिए रिपोर्ट मांगी गई है। गत वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते कामकाज में रुकावट आई है। केंद्र में खिलाड़ियों की सुविधाओं को लेकर उच्चाधिकारियों से चर्चा की गई है ताकि खिलाड़ियों को बेहतर अभ्यास मिल सके।

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