बहुनिशक्तता से ग्रस्त दिव्यांग ले सकते हैं कानूनी अभिभावक: डीसी
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से इसके नेशनल ट्रस्ट को दिव्यांगों के लिए कानूनी अभिभावक नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है। ऐसे दिव्यांग जो प्रमस्तिष्क घात मानसिकमंदता स्वलीनता तथा बहुनिशक्तता से ग्रस्त हैं वे ट्रस्ट के पोर्टल पर आवेदन के बाद कानूनी अभिभावक पा सकते हैं। इसकी प्रक्रिया जिले में स्थानीय कमेटी पूरा करती है जिसके चेयरमैन उपायुक्त हैं।
जागरण संवाददाता, करनाल:सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से इसके नेशनल ट्रस्ट को दिव्यांगों के लिए कानूनी अभिभावक नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है। ऐसे दिव्यांग जो प्रमस्तिष्क घात, मानसिकमंदता, स्वलीनता तथा बहुनिशक्तता से ग्रस्त हैं, वे ट्रस्ट के पोर्टल पर आवेदन के बाद कानूनी अभिभावक पा सकते हैं। इसकी प्रक्रिया जिले में स्थानीय कमेटी पूरा करती है, जिसके चेयरमैन उपायुक्त हैं।
उपायुक्त की अध्यक्षता में इस विषय को लेकर आयोजित बैठक में शहर के दिव्यांग कपिल को कानूनी अभिभावक देने पर सहमति हुई। कमेटी के सदस्य सचिव जिला समाज कल्याण अधिकारी सत्यवान ढिलौड़ ने डीसी को कपिल के आवेदन को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मूल आवेदन पर कमेटी चेयरमैन या उपायुक्त के हस्ताक्षर होंगे और इसे कानूनी अधिकार की प्राप्ति के लिए नेशनल ट्रस्ट को प्रेषित किया जाएगा। करनाल में कमेटी फरवरी 2021 में गठित हुई थी। इसकी पहली बैठक में दिव्यांग कपिल के लिए अभिभावक नियुक्त करने का मामला रखा गया।
इस दौरान कपिल के ज्येष्ठ भ्राता जितेंद्र और उनकी पत्नी भी मौजूद रहे। उन्होंने डीसी से आग्रह किया कि वे कपिल के कानूनी अभिभावक बनने के लिए आवेदन में सहमति दे चुके हैं। इस पर डीसी ने कहा कि कानूनी अभिभावक को कपिल के लिए पारिवारिक संपति में हिस्सा, देखरेख, खाना तथा दवाई का इंतजाम रखना होगा। बैठक में सिविल सर्जन के प्रतिनिधि डा. कुलदीप सिंह, लोक निर्माण विभाग के प्रतिनिधि अधिकारी, एडवोकेट जगमाल सिंह तथा पुर्नवास सोसाइटी की अध्यक्ष एवं स्टेट नोडल एजेंसी के तौर पर कार्यरत डा. सुजाता भी मौजूद रहीं।
क्या है नेशनल ट्रस्ट
डीसी ने बताया कि नेशनल ट्रस्ट ऐसा न्यास है जो दिव्यांगता ग्रस्त व्यक्तियों के लिए समावेशी समाज का निर्माण करता है। ताकि वे गरिमा, समान अधिकार एवं अवसरों के साथ स्वतंत्र जीवनयापन के लिए सशक्त और सक्षम हो सकें। नेशनल ट्रस्ट ऐसा सांविधिक निकाय है जो दिव्यांग या निशक्तजन को अधिकारों के लिए अभिभावकों की नियुक्ति करने का अधिकार देता है।